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Showing posts from April, 2023

RAJA VIKARMADITYA राजा विक्रमादित्य A Religious Story

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राजा  विक्रमादित्य   एक ऐसे  राजा  थे। जिनका  नाम  राजाओ के  श्रेणी मे सबसे उपर  आता है ।  मानव तो मानव ही है  देवता, दानव  भी उनकी  इज्जत  करते थे। यहां तक  की  वे पशु  पंछी और जानवर  तक की  भाषा  समझने  मे  पारांगत  थे  । उनके जीवन की एक सच्ची  घटना जो  पौराणिक  कथाओ  मे  प्रसिद्ध  है। पूर्व काल मे एक बार  लक्ष्मी  और धर्मराज मे  श्रेष्ठता  को लेकर  बहस  हो  गई। धर्म  बोल रहे थे  मै  बड़ा,  और लक्ष्मी  बोल रही थी  मै बड़ी, दोनो मे इस बात को लेकर  इतनी  बहस हुई की दोनो सही का  स्थिति  पाने के लिए  देवताओ के  राजा  इंद्र के  यहां पहुचे। बहुत देर  बिचार  करने के बाद  इंद्र ने  सोचा  इनके  पचेडे  मे पडने  के बजाय   इनसे  छुटकारा  पाने  मे ही  भलाई  है। कुछ देर  बाद  इंद्र  ने  कहा " आप दोनो  महान   व्यक्तित्व  वाले  देवता  हो  आप दोनो के बारे मे  सही निर्णय  लेना  मेरे  बस   कि  बात नही।                                      आप दोनो पृथ्वी  पर जाइए  वहां  एक  बहुत ही प्रतापी  और धर्म निष्ठ  राजा  है उनका  नाम  राजा  विक्रमादित्य है। वहां आपको  सही  न्याय  सही  फैसला  मिलेगा  ।       

JO BHI HOTA HAI AACHE KE LEA HE HOTA HAI जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है A MOTIVATIONAL STORY

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  मनुष्य की  ज़िन्दगी मे कुछ ऐसा  समय  आ  जाता है,कि   मनुष्य को मजबूरन  उस  तथ्य  को  मानना  ही  पडता  है। प्रकृति  उस  बात का   स्वयं   आभास  दिलाती है। ऐसे ही एक तथ्य  को उजागर  करती एक  लोक कथा  प्रस्तुत   की जा रही है  ।                                                     एक बार एक राजा अपने मंंत्री के साथ शिकार खेलने जंगल मे जाता है। कई  दिन वहां  रुक कर शिकार का आनंद लेता है  ।किसी कारण वश एक दिन  राजा की एक अंगुली कट जाती है  सान्त्वना  देने के बजाय उनका मंत्री  कहता है कि  जो भी होता है वह अच्छे के लिए  ही होता है    उस वक्त   राजा को बहुत  क्रोद्ध  आता है  पर  वह अपने क्रोद्ध  को काबू  कर लेता है  । फिर जब वह अपने  राज्य  वापस आता है तो अपने  मंत्री के उस  शब्द  को याद करता है  और एक दिन अपने उस मंत्री को काम पर से निकाल देता है। जो ऐसे परिस्थिति  मे उसका  उपहास  उडा़ता  है। और उसको  सान्त्वना देने के बजाय  उसका मनोबल  तोड़ने  वाला  शब्द  बोलता  है । यह सोच कर कि ऐसा  मंत्री  कभी  मेरा हितैषी  न ही  हो सकता। वह दूसरा मंत्री नियुक्त  कर देता है।                               

RAM BAN GAMAN

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होइहे  सोई  जो  राम रची  राखा । को करि  तरक  बढावहु  शाखा  ।।   जो नियति  ने  लिख दिया  है। उसे कोई  मिटा भी नहीं पायेगा । कभी कभी ऐसा लगता है कि  मनुष्य  अपने सामर्थ्य  से  भाग्य को  बदल  सकता है।  लेकिन  श्री  रामायण की  यह  पत्तियाँ  यह सत्य  साबित  करती है कि  नही जो  विधि  ने लिख  दिया  है ,उसे  बदलना  किसी और के  बस की  बात  नही है।                                  पवित्र  अयोध्या  नगरी    मे  हर्ष उल्लास  का  माहौल  बना  हुआ  है। प्रजा  हर तरह के  सुख  का   आनंद  उठा  रही  है  राजा दशरथ  जी की  ख्याति  चारो  दिशाओ  मे गुंज  रही थी  एक दिन  राजा अपने  रंग  महल  मे   विश्राम  कर रहे थे। उनके  मस्तिष्क मे राम के  प्रति  कुछ  विचार  चल रहे  धै ।वे सोच  रहे थे  कि  राम अब एक  युवा  हो गये हैं  ।हर तरफ  से निपुण  और  योग्य  हो गये हैं ।क्यो न उनको   राज्य  पाठ  देकर  थोड़ा  विश्राम  किया  जाय।  बहुत तरह से  सोच  विचार करने के उपरान्त उन्होने  यह निर्णय   लिया कि   इस विषय को  गुरूजनो एंव आत्म जन सभासदो के बीच  प्रस्ताव  स्वरूप  रखा जायेगा ।दुसरे दिन जब राजा  दशरथ का  दरबार  लगा तो इस

RAJA BHARATHARI

MAHA SHIVRATRI महाशिव रात्रि

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देवो के देव  महादेव की  महिमा का गुणगान  करना आसान नही है,  प्रभु अपनी लीलाओ  द्वारा  कई जीवनोपयोगी  ज्ञान का  अनुभव  कराये  है। भगवान  चंद्रेशेखर के  क ई रुप है। हर रुप मे  भगवान ने अपनी  लीला  का प्रदर्शन  करके लोगो को कुछ ना कुछ सिख दी है।   इस पवित्र पावन  कथा मे भी भगवान  भोलेनाथ ने परोपकार का कितना  पुण्य  होता है, उसके   महत्व  को बताया है  ।   एक शिकारी एक  दिन शिकार  खेलते खेलते  घने जंगल मे पहुंच  जाता है। बहुत समय  बीत गया   पर  कोई भी शिकार  नही मिला। कुछ समय बाद एक हिरणी  दिखाई  दी जो अपने  खोई हुई बच्ची को ढुढ रही  थी।  शिकारी सर्तक होकर  अपने धनुष पर वाण  को चढाता है।  तब तक हिरणी  की नजर उस पर पढ जाती है  ।और वह कहती है "मुझे आप मत मारो  मै बहुत दुखी हुं  मेरी बच्ची कही  खो गयी है  मै उसे  ढुढ  रही हुं  ।उसके  मिलते ही बच्ची को उसके  पिता के हवाले करके  मै  स्वतः  आप के  पास  आ जाउगी। फिर आप मुझे  मार देना                            शिकारी को  उस हिरणी पर दया आ जाती है  और वह उसे नही मारता  है। हिरणी  चुप चाप  चली जाती है। देर  समय बाद  जब  हिरणी  नही  आती है  तो