JO BHI HOTA HAI AACHE KE LEA HE HOTA HAI जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है A MOTIVATIONAL STORY
मनुष्य की ज़िन्दगी मे कुछ ऐसा समय आ जाता है,कि मनुष्य को मजबूरन उस तथ्य को मानना ही पडता है। प्रकृति उस बात का स्वयं आभास दिलाती है। ऐसे ही एक तथ्य को उजागर करती एक लोक कथा प्रस्तुत की जा रही है । एक बार एक राजा अपने मंंत्री के साथ शिकार खेलने जंगल मे जाता है। कई दिन वहां रुक कर शिकार का आनंद लेता है ।किसी कारण वश एक दिन राजा की एक अंगुली कट जाती है सान्त्वना देने के बजाय उनका मंत्री कहता है कि जो भी होता है वह अच्छे के लिए ही होता है उस वक्त राजा को बहुत क्रोद्ध आता है पर वह अपने क्रोद्ध को काबू कर लेता है । फिर जब वह अपने राज्य वापस आता है तो अपने मंत्री के उस शब्द को याद करता है और एक दिन अपने उस मंत्री को काम पर से निकाल देता है। जो ऐसे परिस्थिति मे उसका उपहास उडा़ता है। और उसको सान्त्वना देने के बजाय उसका मनोबल तोड़ने वाला शब्द बोलता है । यह सोच कर कि ऐसा मंत्री कभी मेरा हितैषी न ही हो सकता। वह दूसरा मंत्री नियुक्त कर देता है। कुछ दिन बाद उस राजा को फिर शिकार पर जाने की इच्छा होती है। और वह अपने नये मंत्री को साथ मे लेकर शिकार के लिए जंगल को निकल पड़ता है। फिर राजा वहां के प्राकृतिक सौन्दर्य झरना और झील का भरपूर आनंद लेता है और क ई दिनो तक शिकार का आनंद लेता है। कुछ दिन शिकार का आनंद लेने के बाद अपने राज्य वापस आने की सोचता है उसी दिन शाम को कुछ वनवासी मानवो द्वारा राजा और उसका मंत्री दोनो को जबरदस्ती पकड़कर उनके अपने मुखिया के सामने प्रस्तुत करते हैं। अचानक आयी इस आपदा से राजा और उसका मंत्री दोनो सहमे हुए थे। इस तरह की परिस्थिति भी आ सकती है इसकी कल्पना भी नहीं किया था। मन ही मन दोनो ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे कि हे ईश्वर हमारी मदद किजिए हम कैसे कैसे लोगो के बीच फस गये हैं हमारी रक्षा करो। लेकिन होनी को कौन टाल सकता है। वनवासियो के मुखिया के लड़की की शादी हो ने जा रही है। उनके इष्ट देव के प्रथा के अनुसार जब उस गट मे किसी लड़का लड़की की शादी हो ती है तो किसी मानव की बलि देनी निश्चित होती है । पांच दिन पहले से ही हर्ष उल्लास के लिए रंग विरंगे प्रोग्राम किये जा रहे थे ।आखिर कार वह समय आ ही गया। आज बलि का दिन था।आज के दिन राजा और मंत्री को अच्छी तरह से स्नान ध्यान करवाया गया ।मीठ्ठे मीठ्ठे फल खाने को दिये गये। उत्तम दर्जे का पकवान की व्यवस्था की गयी। उच्चे स्तर के वस्त्र पहनने को दिये गये। ससम्मान उन्हे सजाकर उस संध्या उत्सव मे शामिल किया गया ।जहां उनको बलि दी जानी थी ।राजा आवभगत देख कर बहुत प्रसन्न हुए जा रहे थे। उन्हे क्या मालूम कि इतना आवभगत किस लिए कर रहे हैं। वो तो कुछ और ही सोच रहेथे वे सोच रहे थे कि वनवासियो को ज्ञात हो गया कि हम राजा और ये हमारा मंत्री है।इस लिए अपनी आवभगत कुछ ज्यादा ही की जा रही है। उन्हें क्या मालूम की आज उन्हे बलि का बकरा बनाया जायेगा । कुछ समय बीतने के बाद उन्हें एक विशाल मूर्ति के सामने लाया गया ।कुछ ही दूरी पर एक बड़े थाल मे एक सजी सवरी तलवार और कुछ फुल और चंदन धृत और रगे हुए चावल के कुछ अंश रखे हुए थे। राजा की नजर जब उस थाल मे पडी़ तो राजा के पैरो के नीचे से जमीन खिसक ने लगी। वे समझ गये कि माजरा यहां कुछ गंभीर लग रहा है। मंत्री भी इन सब चीजो को देख कर कुछ कुछ समझ गया था। दोनो की बोलती बंद हो गयी थी आगे क्या होगा यह देखने के शिवा उनके पास कोई विकल्प नही था । कुछ समय बाद कुछ वनवासी उनके पास आये ।और अक्षत, चंदन, पुष्प से उनकी पूजा करने लगे। सबसे पहले उन्होने राजा को आगे लिया और अपने मे कुछ बात करने लगे। उनमे से एक व्यक्ति आगे बढा़ और राजा के कन्धो, बक्क्ष , कमर हाथ पैर सब पर हाथ फेरने लगा। राजा की तो बहुत बुरा हाल था ।कुछ देर निरिक्षण करने के बाद वह वनवासी अपने साथियों से बोला "इसकी बलि नही हो सकता इसकी एक अंगुली कटी हुई है ।" दुसरे आदमी को लेकर आओ और फिर मंत्री को राजा की जगह खड़ा करके उसका निरिक्षण शुरु क़रने लगा। और कुछ देर बाद अपने साथियो से बोला "यह व्यक्ति बलि के लिए उपयुक्त है। इसकी बलि दी जा सकती है । राजा के सामने ही उसके मंत्री की बलि दे दी जाती है राजा के मुंह से चीख निकल जाती है ।पर वनवासी लोग उसकी तरफ ध्यान नही देते है। बुझे मन से राजा वहां से चल देता है दुखी राजा को हर पल पल की याद आती है ।उसके पूर्व मंत्री के बोले हुए शब्द उसके कानो मे गुजते है "जो भी होता है वह अच्छे के लिए ही होता है "
दोस्तों कहानी कैसी लगी कमेन्ट सैक्सन मे दो शब्द अवश्य लिखे । भरत गोस्वामी मुम्बई INDIA
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