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Showing posts from April, 2019

नारद जी का अभिमान भंग (a religious motivational story)

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मनुष्य  ईश्वर की सबसे सुंदर रचना है।इसने अपने कर्म से भगवान को भी कुछ सोचने को मजबूर कर दिया है।इस कहानी में एक भक्त नेअपने कृत्य के चलते भगवान को खुश कर दिया है।                                  अभिमान मनुष्य हो ,दैैैत्य हो, दैव हो सबके लिए हानिकारक होता है। जो किसी को भी विकास की तरफ नहीं बल्कि विनाश की तरफ ले जाता है।अक्सर  देखा गया है कि अभिमान औरों से पहले खुद को मिटाता है।                                                              एक बार नारदजी पृथ्वी भ्रमण के उद्देश्य से पृथ्वी पर विचरण कर रहे थे। विचरण करते करते उन्होंने विचरण का खुब आनन्द लिया।विचरण के दौरान ही उन्होंने एक किसान को देखा जो कड़ाके की ठंड मे ठिठुर ठिठुर कर खेत में हल चला रहा था।हल  चलाते चलाते वह किसान बीच बीच में भगवान श्रीकृष्ण का जयकारा लगाने लगता। तो कभी जोर जोर से जय राम जय राम की रट लगाने लगता।                     यह देेेेखकर नारदजी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि यह कैसी भक्ति, भक्ति या मजाक  ना जयकारा ही  ढंग से लगा रहा है,ना ढंग से जाप ही कर रहा है।नारद जी को जोर से हंसी आ गई। उन्होंने अपने मन मे कहा भक्ति तो

PYAR RADHA RANI KA प्यार राधा रानी का ।(एक प्रेम कथा)

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ऐसा प्यार ना कभी हुआ ,ना ही फिर कभी होगा ।यह भगवान श्रीकृष्ण कि पहली और आखिरी प्रेम लीला थी।जो न कभी खत्म हुई ना कभी खत्म होगी। सदियां बीत जायेगी ,युग बीत जायेंगे  ,पर राधा कृष्ण का प्यार कभी कम ना होगा । वैसे तो सांसारिक पद्धति के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की सोलह सौ  रानियां थी, पर राधा जी का प्रेम सबसे अलग था । राधाजी का प्रेम उस अथाह सागर के समान था। जिसका कोई अंत नही । युगों युगों  तक स्मरण रखें जाने वाले इन युगल प्रेमी राधा कृष्ण की इस प्रेम कहानी का एक   अंश प्रस्तुत करने जा रहे हैं ।                                      ‌‌‌‌‌‌                    असीम सुन्दरता  की देवी राधा रानी अपने तरूण अवस्था में प्रवेश कर रही थी । उनके काले काले घुंघराले बाल,गोरे गोरे गालों पर  कुछ इस तरह शोभा दे रहे थे। जिसका वर्णन नही किया जा सकता है।उनके छोटे-छोटे हाथ, छोटे छोटे पैर,ऐसे बेसुध से पड़ते  , जैसे उन्हें मालूम ही नहीं कि सामने गढ्ढा है या उंचाई । चेहरे पर वह मासुमियत ,वह भोलापन जिसमें इतनी स्थीरता ,जैसे  किसी गहरे नदी के जल की होती है। स्वभाव इतना शांत की , जैसे सुबह पंछियों के कलरव के बाद भी व

बीरबल का चातुर्य (motivational story)

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मानव जीवन मे चातुर्य का अपना एक अलग महत्व है।  चाणक्य, नटवरलाल, तेनालीराम, शेखचिल्ली की तरह ही एक शख्स बीरबल जो चातुर्य कला में निपुण और सम्राट अकबर का प्रमुख सलाहकार था उसके चातुर्य का एक अंश,   कहानी के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं ,जो बीरबल के बुद्धिमत्ता को दर्शाती है।                अकबर के साले साहब का नाम  मियां खुशरू था। वह बहुत ही बुद्धिमान , वफादार  दरबारी था। एक दिन उस के मन में  आया कि मैं भी तो समझदार हूं ।   फिर जीजाजी मुझे प्रमुख सलाहकार क्यों नहीं बना देते। अब इसी सोच के चलते उसने अपनी बहन से शिकायत की,जीजा जी मुझे प्रमुख सलाहकार क्यों नहीं बना सकते। मैं भी तो बहुत समझदार हूं। बहुत आग्रह करने पर उसकी बहन बोली "मैं राजा साहेब से बात करूंगी ।" जब अकबर रानीगाह में आये तो उसकी बहन ने राजा को सारी बात बताई ।अकबर ने कहा "ठीक है मैं उसे एक  मौका जरूर दूंगा ।दुसरे दिन  दरबार में अकबर ने दोनों को बुला कर समझाया ।अकबर ने कोयले के दो टुकड़े  मंगवाये । एक एक टुकड़ा दोनों को देते हुए कहा "इस कोयले के टुकड़े को जो एक हजार मुद्रा में बेंच कर शाम होने से पहले राज