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Showing posts from January, 2020

A THOUGHT OF HEALTH स्वास्थ्य विचार A Good Thought

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मनुष्य के जीवन में स्वास्थ्य का बहुत बड़ा महत्व है ।स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ मन का होना बहुत जरूरी है ।मन तभी स्वस्थ रहेगा । जब मनुष्य कोई अच्छा काम करेगा । जब मनुष्य कोई अच्छा काम करेगा । तो अच्छे-अच्छे- विचार आयेगे । मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए कुछ अतिरिक्त कार्य करने पडते है ।उन्ही अतिरिक्त कार्यो की जानकारी इस विचार में दी जा  रही है ।    अच्छे  स्वास्थ्य के लिए पांच बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। खानपान,साफ- सफाई, व्यायाम, शयन और जागरण  ।                                                  खान-पान ---  स्वस्थ शरीर के लिए खान-पान  सही  होना चाहिए । स्वस्थ हेल्दी खाना  स्वास्थ्य को स्वस्थ  रखने में बहुत मदद करता है ।कम  खाएं, अच्छा और हेल्दी खाना खाएं ।भोजन को चबा चबाकर खाएं । बीच-बीच मे यदि पानी की आवश्यकता हो तो  जितना निहायत जरूरी है । उतना ही लेवें । भोजन के तुरंत  बाद कहीं बाहर न जाएं । चाहे तो मार्निंग वॉक के जैैैसा 1 किलोमीटर के अंदर तक जा सकते है । जरूरत हो तो कम से कम  आधे घण्टे के बाद पानी पी सकते हैं । खाना कभी भी जबरदस्ती ना खाये  । हो  सके तो  पांच निवाला कम खान

BHARAT HANUMAN MILAP भरत - हनुमान मिलाप A RILIGIOUS STORY

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यह कहानी रामायणिक प्रसंग पर आधारित है । परिस्थितियां भले ही विपरीत हो पर दो महावीरों का यह मिलाप कोई साधारण मिलाप नहीं था ।भरत जी के चरित्र से जुड़ीं यह कहानी लोक कथाओं में चर्चित है ।यह उस वक्त का प्रसंग है जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने द्रोणागिरी पर्वत पर गये थे ।                                              जब हनुमान जी ने देखा कि यहां तो यह ज्ञात करना बहुत ही मुश्किल है कि इन वृक्षो और झाड़ियों में संजीवनी बूटी का पेड़ कौन सा है । तो वे बहुत परेेेशान  हो गए । लंकापति अपने माया जाल से पुरे  द्रोणागिरि पर्वत को भ्रमित कर दिया था ।ताकि हनुमान जी बूूूटी ना पा सके  और समय से ना पहुंचे तो लक्ष्मण जी को वे लोग बचा ना सके‌।बल और बुद्धि के अग्रणी हनुमान जी तो  बिना विलम्ब किए ,समय से  लंका पहुंचना चाहते थे । उन्होंने पुरा द्रोणा गिरी पर्वत को उखाड़ लिया और लंंका की ओर  चल पड़े ।                                                        अयोध्या नगर  से बाहर भरत जी ने अपना आश्रम बना रखा था जहां वे अपने भाई राम की चरण पादुका रख कर पुजन अर्चन किया करते थे। उनकी यह प्रतिज्ञा थी कि जब तक भाई राम अ

MAA JANKI KA VANGAMAN मां जानकी का वनगमन A RILIGIOUS STORY

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यह रामायण  का एक बहुत ही  मार्मिक प्रसंग है ।जो तत्कालीन महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित प्रसंग है ।मां जानकी को निर्दोष होते हुए भी वन गमन की सजा दी गई थी । राजा राम ने राजधर्म से मजबूर हो कर मां जानकी को यह सजा दी थी । हम उसी प्रसंग का उल्लेख इस कहानी में करने जा रहे हैं । इस प्रसंग में कई तरह की भ्रांतियां हैं । पर यह  कहानी लोक कथाओं में चर्चित है ।                             ऐसा कोई पहला दिन न था कि मां जानकी अपने पति  को दरबार के  काम काज से परेेेेशान ना देखा  हो । पर उस  दिन उनके पति  राजा राम के चेहरेे पर एक अजीब तरह की परेशानी झलक रही थी ।  मां  जानकी ने सोचा कि हर समय की तरह इस बार भी अपनेेे पति को उनकेेे मनपसंद भोजन  कराकर  प्रसन्न कर लूंगी।                        यह सोचकर मां जानकी के कदम रसोई घर की तरफ बढ़ रहे थे ।वहां जाते ही सब रसोइयों ने मां जानकी का अभिवादन किया और हाथ जोड़कर विनती पुर्वक कहा " माते  आज्ञा करें  हमारे रहते आप को किसी तरह की तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए । पर मां जानकी पति प्रेम में इतना  खो गई थी कि आदर पूर्वक बोली " आज मुझे अपने स्वामी के लिए विशे