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YAD EK BACHPAN KI याद एक बचपन की । A SOCIAL STORY

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इस कहानी "याद एक बचपन  की " में एक ऐसे शख्स की  पुस्तैनी दुश्मनी का जिक्र किया गया है।जिसने उस शख्स का सब कुछ छीन लिया।      एक १०साल का बालक उमेश अपने काका के यहां घुमने आया था ।नयाशहर ,नये लोग ,बालक काफी खुश था । कुछ समय बितने केबाद एक दिन अपने काकाजी के साथ झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का किला देखने गया ।काकाजी ने टिकट निकाला और दोनों अन्दर गये ।किले के अंदर रानी का शृंगार गृह , अभ्यास गृह, सैन्य गृह, घुड़साल ,हथिसार, पुजा घर, फांसी  घर और  ऐसे स्थान जो उसको बहुत अच्छे लगे ।                                                                  कुछ दिन बितने के बाद एक दिन उस बालक ने एक करूण रूदन की आवाज़ सुनी ।शाम का वक्त था, दिन और रात का मिलन हो रहा था।बालक को कुछ अजीब सा लगा। दुसरे दिन भी वही प्रतिक्रिया ,बालक से नहीं रहा गया ,उसने  अपने काकाजी से पुछ ही लिया ।"काकाजी इस तरह  कौन रोता है,"काकाजी ने कहा"एक पागल है,इधर वहीं रोता रहता है, मांगता खाता है,नजदिक में ही एक पुराना  घर खंडहर हो चला है,उसी में रहता है।" बालक को कुछ अजीब सा लगा। दुसरे ही दिन सुबह वह उस

VIVAH EK SAMAJIK SAMASHAYA विवाह एक सामाजिक समस्या ----AMOTIVATIONAL STORY

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एकनवविवाहिता वधु रहती है, जो दहेज़ न लाने के कारण पति ,सास ,ससुर,ननद सबसे प्रताणित होती है।उससे सब नौकर की तरह बरताव करते और खाने केसमय पर उलाहना देते रहते,खाना तो दो आदमी का खाती है,पर१०मिनट काम १घंटे में करती है। उसकी सास तो एकदम जल्लाद पुरा दिन "मनहूस कहींकी, मनहूस कहीकी" रटते रहती।एक दिन तो उसने हद कर दी, वधु के लिए सबके जुठन से बचा खाना कोअच्छी तरह ढक कर रख दिया। सब कुछ जानते हुए भी बहु चुपचाप उस खाने को रोतेरोते खा गयी।अपने भाग्य को कोसती और आंसू बहाते रहती । वाणी से,शरीर से, कर्मसे प्रताणित होकर वह घर छोड़ देती है,और एक अंजान सी जगह पर जाकर किसी के घर पर चौका वर्तन करके अपना जीवन यापन करने लगती है,पर उसके दिल में लगी आग धिरे धिरे बढ़ती रहती है।और वह समाज को सुधारने का मन ही मन संकल्प लेतीहै ।अपनी जिविका को सम्हालते हुए वह एक महिला  NGO ज्वाईन कर लेती है,वहीसमाज के  बुरे,अच्छे हर  पहलुओं काअध्ययन करती है।वह देखतीहै,कि समाज में बुराइयां बहुत ज्यादा है,और अच्छाइयां बहुत कम है। वह देखती है कि आजकल के बच्चे विजातीय  प्रेम विवाह में फंस कर अपना भविष्य खुद नष्टकर लेते हैं,ल