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Showing posts from September, 2020

DHRUV -TARA ध्रुव-तारा

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          हमारे इस संसार मे भक्त  तो बहुत हुए पर भक्त प्रह्लाद और भक्त ध्रुव का नाम सभी भक्तो मे बहुत ही आदर से लिया जाता है  ।जिन्होंने भक्ति की सारी हदे  पार करके भक्ति की दुनिया  मे अपना विशेष स्थान बनाया हैं  ।   हम भक्त ध्रुव के जीवन से जुड़ी कुछ विशेष बाते कहानी के रूप मे प्रस्तुत कर रहे हैं  ।                                                मनु और शतरूपा के पुत्र  राजा उतानपाद  की दो पत्नियां   थी। एक रानी    सुनिति तो दूसरी  का नाम सुरुचि  था।  छोटी रानी सुरुचि बहुत सुन्दर  पर स्वभाव  की बहुत कुुुुटिल ,कपटी,ईष्यालु , और मधुर भाषी  थी। मन ही मन वह बडी रानी सुनिति  सेे बहुत ही ईष्याभाव  रखती थी ।   सुन्दरता के साथ   साथ वह किसी को अपने ओर आकृष्ट करने की कला मे माहिर थी। दोनों  रानियों  को एक एक पुुुुत्र थेे ।जो करीब  करीब एक ही  उम्र के थे  । बडी रानी  के पुत्र का नाम ध्रुुव और छोटी रानी    के पुत्र  का नाम   उत्तम  था।                                                                  एक दिन उत्तम अपने पिता राजा उतानपाद के गोद मेे खेल रहा था  । तब तक बालक ध्रुव भी वहां  पहुंच गये

Ek LINGESWAR MAHADEV एक लिंगेश्वर महादेव A RILIGIOUS STORY

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पुरी दुनिया मे ऐसे दो ही शिव मंदिर है  जो साल भर मे एक ही  दिन यानी केवल शिवरात्रि के दिन ही खुलते हैं  ।एक उज्जैन नगरी मे बसा भगवान शिव का चद्ररेश्वर मंदिर और एक  राजस्थान के जयपुर जिले का एक लिंगेश्वर महादेव मंदिर ।शहर के बीचों  बीच बना यह शिव मंदिर अपने आपमे कई  रहस्यो  को संजोए हुए है।  मोती डोंगरी   नामक स्थान पर बना यह शिव मंदिर महाराणा प्रताप के पुर्वजो  द्वारा बनवाया  गया है।                                                         पुरातन काल का बना यह  शिव मंदिर  राणा खानदान केे लिए   बहुत ही  शुभ साबित  हुुुआ  । लोगो का कहना है कि   आज तक एक लिंंग जी  महाराज कि कृपा से राणा खानदान के किसी भी राजा ने  हार का  मुहं  नही देखा  ।एक बार की बात हैै राणा जी के खानदान का कोई   राजा  भगवान शिव के इस मंदिर का जिरणोधार करवा रहे थेे उनके दिमाग मे यह बात आई कि  भगवान शिव के लिंंग के साथ साथ उनकेे  परिवारीय  श्री गणेश जी  और उनकी  पत्नी  पार्वती  जी   की मूर्ति  स्थापना कर देनी चाहिए। उन्होने  आचार्य जनो से   विचार  विमर्श करने केे बाद   श्री गणेेश जी और  पत्नी पार्वती  जी मूर्ति की स्थापना

KALIYUG KA ANAT कलियुग का अन्त

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कर्म प्रधान विश्व करि राखा  ।  जो  जस करहि  सो तस फल चाखा ।।  गोस्वामी  तुलसी दास  जी द्वारा लिखित  यह पत्तियाँ  आज साकार हो  रही  हैं  ।अपनी  मेहनत और  लगन से  मनुष्य   आज क्या कुछ नहीं कर पा रहा है। चाँद तारे के सैर  से  लेकर ग्रहो पर आना जाना तक  सम्भव कर डाला  है। भक्ति के प्रति लोगों का झुुुुकाव और अपार श्रदधा इस बात संंकेत हैं  कि सतयुुग काआगमन  नजदिक आ रहा है ।   इसी के संदर्भ  मे जुडी यह  धार्मिक  कहानी आप के समक्ष प्रस्तुत  कर रहे है  ।                                    यह कहानी  उस समय की है जब भगवान  श्री कृष्ण एक समय सोच रहे है कि पृथ्वी पर गये बहुुत दिन  गुजर गये  है  चलो एक बार  पृथ्वी  का  नया  दौर  कैैैैसा चल रहा है,  देख कर आते है  । यह सोच कर उन्होने एक सधारण मनुष्य  का रुप बनाया और पृृृथ्वी भ्रमण  के लिए  निकल पडे  । यहां बहुुत दिन तक मानव लीला करने के  बाद दुबारा पृथ्वी पर  आगमन  के कारण   पुरानी  समृतियां  उनके  मानस पटल पर तेजी से घूम रही है  । बाल्य काल से  लेकर  कि  सोरा अवस्था तक उन्होने जो  जो लिलायें  की थी। वो सारे दृश्य  एक एक करके भगवान श्री कृष्ण  के आँख