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Showing posts from February, 2019

ये मात्र संयोग नहीं हो सकता है (एक प्रेरणादायक सत्य कथा )

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इस कहानी में हनुमानजी के द्वारा किए गए एक ऐसे कृत्य का वर्णन है।जो आपको भाव विभोर कर देगा।तो आइए इस सत्य  घटना का आनंद लेते हैं-----------मुम्बई के अंधेरी तालुका मे उपाध्याय नगर मे हनुमान जी का मंदिर बन रहा था ।नगर के कुछ अच्छे लोग श्रमदान कर रहे थे।उसमे से एक उत्साहित सेवक ने मुख्य प्रबंधन  सेवक से कहा ," प्रधान जी इतना उत्साह से मंदिर बनवा रहे हो  , उद्घाटन किससे करवावोगे  "इस पर प्रधान जी ने कहा "आप लोग ही तय  करें , उससे उद्घाटन करवायेंगे ।" इस पर  सेवक  ने हंस कर कहा "प्रधान जी आजकल भरत शर्मा व्यास जी नम्बर वन  पर है,उन्हीं से उद्घाटन करवायेंगे।" प्रधान जी ने कहा "ठीक  है ,कोशिश की जायेगी कि उन्ही  के हाथों से उद्घाटन हो,पर  वह तो बहुत बड़े स्टार गायक हैं हम उन्हें  मैनेज कर पायेंगे ।चलो ठीक है ,कोशिश करने में क्या जाता है।"एक सुंदर मंदिर का निर्माण पुरा हुआ । वहां हनुमानजी चबुतरे पर पहले से ही विराजमान थे ।उनका मंदिर बन जाने से वहां की शोभा और बढ गई। अब प्रधान जी को उद्घाटन की चिंता सताने लगी । उन्होंने कई तरह से प्रयास किया कि भरत शर्मा

जीवन दर्शन (सत्य कथा )

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जीवन के कुछ सच्चे तथ्य को दर्शाती यह सच्ची कहानी आपको कड़वी जरूर लगेगी , लेकिन मानव जीवन का सही पथ इस कहानी में दिखाया गया है।   ‌                माथे का पसीना पोंछ कर राकेश राहत की सांस लेता है ‌‌‌।उसे अपना तारगेट पुरा करने में अभी काफी समय था ‌। अपने सहकर्मी से बोल कर वह चाय पीने केंटीन चला गया।चाय पीके आने के बाद उसने अपना काम एक घंटा पहले ही पुरा कर लिया ‌‌‌। इस बीच उसके कपड़े कितनी बार सुखे कितनी बार गीले हुए ‌। लेकिन उसनेे कोई प्रतिक्रिया न करते हुए अपना काम ख़त्म किया ।ऐसे करते करते कई साल बीत गए। राकेश  परिस्थितीयो  से उलझता हुआ ,आगे बढ़ रहा था । वह कितना भी थका मादा होता, अपने पुत्र अंश को गोद में लेते ही उसकी सारी थकान  फुर्र हो जाती ।फिर क्या ,अंश  आगे आगे और राकेश पीछे पीछे फिर घंटों तक बाप बेटे की घुड़दौड़ होती ।इस बीच भागमभाग में यदि अंश कुछ शरारत कर बैठता तो राकेश की डांट पड़ती और उस डांट का असर अंश पर कुछ नहीं पड़ता,उल्टे अपना चार दांत वाला मुशकराता  चेहरा दिखाकर राकेश को रिझाने की कोशिश करता । दौड़ते दौड़ते यदि कहीं गीर जाता तो हाथ गन्दे हो जाते फिर राकेश उसे हाथ प