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Showing posts from March, 2019

करिश्मा भगवान श्रीकृष्ण का ।(a motivational story)

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इस कहानी का सार यही है कि जो कुछ करता है ,वह भगवान ही करता है।मनुष्य तो केवल निमित्त मात्र है।जो व्यक्ति अपने आराध्य के शरण में विश्वास रखताहै ,उसे उसके आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त होते रहता है।                  एक धनाढ्य व्यापारी रहता है । अपने आचरण एवं कुशल व्यवहार से वह सभी का विश्वास जीत लेता है। उसकी कार्य कुशलता से लोग उसे पसंद करते है।वह भगवान श्रीकृष्ण का परम भक्त रहता है। उसनेे अपने आप को भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित कर दिया है।वह कोई भी काम को बहुत ही इमानदारी से करता है। इस लिए उसकी सम्पति दिन दुनी रात चौगुनी बढ़ती रहती है। ज़रूरत पड़ने पर वह दीन दुखियों की सेवा भी करता है। अनजाने में यदि कोई गलती  हो भी जाए तो वह न्याय संगत करने की कोशिश करता है।और उसमे सफल भी होता है।एक दिन एक गरीब आदमी उसके दरवाजे पर आता है। और विनय के साथ हाथ जोड़कर कहता है " सेठ जी मेरी इज्जत बचा लिजीए , मैं बेटी के शादी के चलते इतना परेशान हूं । मैं अपना सब कुछ बेच कर भी उसके ससुराल वालों को खुश नही कर पाया । मैं बहुत परेशान हूं।कृपा करके मेरी मदद किजीए ।"                 ‌     

एक बहू ऐसी भी । motivational story

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हमारी  जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा हमारी क्रिया-कलापों पर आधारित है। हम चाहे तो अपनी जिंदगी स्वर्ग या नरक बना सकते है।ये सारी चीजें हमारे उपर आधारित है।ऐसी ही एक बहू की कहानी हम आपके  सामने लाने जा रहे है। आपने सुना ही होगा दुनिया गोल है। हर चीज घुम कर फिर वही आ जाती है। हमारी संस्कृति मे  एक चीज ऐसी भी हैं ।जिसे संजो कर रखा जाए तो जिन्दगी स्वर्ग के समान सुन्दर होगी।हमारी ये कहानी भी विश्व की सभी हमारी बहनों के लिए समर्पित है। मात्र इसका  अनुसरण करके हमारी बहनें अपने घर को स्वर्ग बना सकती है। ----------- एक  सीधा सादा परिवार रहता है।घर  में  मालिक , मालकिन के अलावा उनके तीन बच्चे रमेश,भावेेश और माधुरी रहती है। मालिक गुुुुलाबचंंद कपड़े का व्यापारी रहता है। बहुत ही ईमानदार ,बहुत ही अच्छा स्वभाव वाला व्यक्ति रहता है।ठीक  उसी तरह उसकी पत्नी सबिता भी एक नेक, सुशील और धार्मिक विचारों वाली औरत रहती है।वह  नित्य पुुुुजा पाठ करने के बाद ही अपने नित्य कर्म  को करती है। उसने इस  छोटे से परिवार को  बहुत ही सुझ बुुझ से संभाल कर रखी है । बच्चों की पढ़ाई लिखाई चल रही है।घर संसार चलते चलते कुछ समय बि

खुद हनुमानजी ने बचाई अपने सेवक की जांन ।---a motivational story

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खुद हनुमानजी ने बचाई अपने सेवक की जांन, इस सत्य कथा में केवल स्थान, और पात्र के नाम  बदले गए है। श्रद्धा है तो सब कुछ है।मानो तो देव‌ , नही तो पत्थर  ।ये कहानी एक प्रेरणादायक कहानी है ।जिसे पढ़ कर मन श्रद्धा से भाव विभोर हो उठेगा ।_ _हर साल की भांति इस साल भी हनुमानजी के मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जा रहा था। मंदिर में सेवक गण अपनी अपनी सेवा में लगे थे।कोई पताका लगा रह था,तो कोई साफ-सफाई में लगाथा। कोई फूल माला से मंदिर को सजा रहा था। लाउडस्पीकर पर भक्ति गीत बज रहे थे। लोग भक्ति गानों का आनंद ले रहे थे । इतने में मंदिर का मुख्य सेवक दामोदर वहां आया,और उसने एक सेवक विवेक से कहा "एक हार और श्रीफल हनुमानजी को चढ़ा दो। "विवेक कोई काम में व्यस्त था।उसने उमेश से हार और श्रीफल चढाने को कहा।उसने भी किसी से वहीं काम करने को कहा।सब एक दूसरे को कहते गये ,किसी ने हार और श्रीफल नही चढाया।  अब हनुमानजी नाराज हो गए ।सबकुछ अपने आप बंद,कही  लाइटींग बंद तो लाउडस्पीकर बंद।सब सेवक घबरा गए । ये क्या हो गया । नगर के सब इलेक्ट्रीशियन अपना अपना दिमाग लगाकर थक गए,पर किस