JAI SRI BADARINATHजय श्री बद्रीनाथ A RELIGIOUS STORY
यह एक अत्यंत प्रिय पौराणिक कथा है जिसके पठन , पाठन और श्रवण मात्र से मनुष्य जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाता है और वह मनुष्य अपने आप को धन्य समझता है इस धाम का दर्शन भी उतना ही सुखदायी है इस कथा मे भगवान श्री हरि विष्णु की एक पुण्य कृति को दर्शाया गया है। पूर्व काल मे दुर्गम नाम का एक राक्षस था। जो भगवान सुर्य का परम भक्त था । अपनी तपस्या से भगवान सुर्य को खुश करके अमरता का बरदान मांगा। भगवान सुर्य ने उसे मना कर दिया और कहा कि अमरता का बरदान केवल भगवान भोलेनाथ और मां अम्बे ही दे सकते है और किसी को अमरता का बरदान देने का अधिकार नही है। तब उस राक्षस ने अपनी माया से भगवान सुर्य को भ्रमित करके कहा कि "ठीक है आप मुझे अमरता का बरदान नही दे सकते तो ऐसे सौ कवच का बरदान दे दीजिए जिसका छेदन वही व्यक्ति कर सके जौ सौ वर्षो की धोर तपस्या पूरी किया हो " । भगवान सुर्य ने उसे सौ कवच का बरदान दे दिया। और कहा कि " इन कवच की छेदन की क्षमता उसी व्यक्ति को होगी ज