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Showing posts from August, 2019

SURDASH KA NISCHAL KRISHANA PREM सूरदास का निश्चल कृष्ण प्रेम A RELIGIOUS STORY

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भक्त वत्सल भगवान श्रीकृष्ण के गुणों का गुणगान जितना किया जाए उतना ही कम है । प्रभु अपने भक्तों का ध्यान कैसे रखते हैं । इसी तथ्य को दर्शाती, यह सत्य धटना भक्त और भगवान के निश्चल प्रेम  का एक अनूठा उदाहरण है।                                                                       हमारे साधु संतों में से एक संत  सूरदास जी भी  थे। एक सुंदर प्रतिभा के धनी , सुंदर काया से युक्त शरीर, वाणी में इतनी मिठास कि जो सुुुने मंत्र मुग्ध होकर रह जाए । इतना सब कुछ होते हुए भी  उनके पास आंखेें नहीं थी । कुछ लोगों  कहना है कि वे  जन्म से अंंधे नहीं थे और कुछ लोगों का कहना है कि वे जन्म से अंंधे थे ।उनके प्रति लोगों में कई  धारणाए  है । पर उनकी रचनाओं को देख कर ये जरूर लगता है कि वे भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य प्रेमी थे ।   जो रचनाएं भगवान  श्रीकृष्ण के बारे में लिख दिया है ।उससे यही प्रतीत होता है कि वे भगवान श्रीकृष्ण से अगाध प्रेम करते थे । उन्होने अपनी रचनाओं में भगवान श्रीकृष्ण के   बाल  जीवन के इतना सुन्दर चित्रण किया है कि कोई आंख वाला  भी  उतना सुन्दर चित्रण नहीं कर सकता । उन्होने अपनी बाल लीलाओं

RAMAYANA KAL KA EK ADBHUT SACH रामायण काल का एक अद्भुत सच A RELIGIOUS STORY

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12 कलाओं से युक्त भगवान श्रीराम के गुणों का वर्णन करना मनुष्य के वश की बात नहीं ।  वेद वेदांत, उपनिषद जिनका पूर्ण वर्णन करने में  अस्मर्थ रहे ,ऐसे प्रभु श्री राम जिनके कारण 16 कलाओसे युक्त भगवान श्रीकृष्ण को  पृथ्वी पर अवतार लेना पड़ा ।ऐसी ही एक लधु  कथा जो भगवान श्रीराम के गुणों एवं चरित्र का वर्णन करती है।                                ऋषि विश्वामित्रअपने कई शिष्यो के साथ वन के आश्रम में   पुजा पाठ में लीन थे ।ऋषियो   का देखा जाय  तो वह बाहर से जितना कठोर होते हैं अन्दर से  उतना ही कोमल होते हैं । ना उन्हे किसी बात का डर होता है   कोई उनकी दिनचर्या मेें किसी तरह की  बाधा  डालने की कोशिश करेें तो वे पसंद नहीं करते । वे  बहुत ही शांतिपूर्ण ढंग से रहने के आदी होते हैं ।पर उन्हें कोई अकारण परेेेेशान  करता है तो वह इस बात को सहजता से स्वीकार नहीं करते ।उसे समूल   नष्ट करने की सोच लेते हैं।ऐसी ही मन: दशा से ऋषि  विश्वामित्र  गुजर रहे थे ।            राक्षसी ताड़का के अत्याचार  से सारा वन  अशाांत  हो गया था ।वह अपने सहयोगियों के साथ आती और आश्रम की शांति में बाधा डालती । वह वन के जि

Law of destiny versus power of true devotees - A RELIGIOUS STORY

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It has been seen that many times the almighty lord loses intentionally in front of their devotees in order to rebuild the devotees trust and loyalty again in the lord. Due to this reason the dignity of lord goes on increasing and more and more people starts to believe in god’s grace. This story is about one such devotee that changed the law of destiny just because of his ‘KARMA’ and forced the god to do which was impossible. Once upon a time Naradji, the favorite disciple of Lord Narayan takes his Veena (musical instrument) and decides to visit planet Earth. He converts himself into a normal human being and starts wandering on Earth. He saw many people, their families, their way of living life; some people’s happiness some people’s sorrow and many other things. After looking many different people and their activities he heard a lady’s crying voice. He felt the pain in her voice which was very different, Naradji felt like she was crying her heart out. He was not able to ignore th

MAHIMA BABA BAIJNATH DHAM KI महिमा बाबा बैजनाथ धाम की A RELIGIOUS STORY

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भगवान भोले नाथ की बहुत ही सुन्दर कहानी जो लोक कथाओं में चर्चित है ।भगवान भोले नाथ की इस पवित्र और मनोहारी कथा में कई तरह की भ्रांति होते हुए भी बहुत लोकप्रिय है।                                लंकापति दसानन रावण भगवान भोले नाथ के बहुत ही प्रिय  भक्त थे । लोगों का कहना है कि उनसे बड़ा  विद्वान ना कोई हुआ है ना होगा । तप के दौरान  उनको जब भक्ति का उन्माद चढ़ता था तो अपने  हाथों से भगवान भोले नाथ सहित कैलाश  को उठा लेते थे ।जब भी भगवान भोले नाथ की आवश्यकता होती तभी भगवान भोले नाथ को कोई भी यतन करके प्र कट  हो ने के लिए मजबूर कर  देेेते थे ।   दसानन रावण के पास इच्छा  से चलने वाला  रथ था ।जब भी दसानन रावण  भक्ति सागर में गोते लगाने का मन होता वे अपना रथ लेकर  किसी निर्जन स्थान पर चले जाते । जहां उनकी पूजा अर्चना में कोई बिघ्न न डाल सके ।  भगवान और भक्त का यह  परस्पर  संबंध सदियों से चर्चित  रहा है ।                                   एक बार  दसानन रावण अपने आदत के अनुसार  भगवान  भोले नाथ की  भक्ति इतनी तन्मयता से की कि भगवान भोलेनाथ प्रकट  हो गए और  उन्होंने दसानन रावण से इच्छित वर मांगन