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Showing posts from November, 2019

MAHATMA KABIR महात्मा कबीर A RILIGIOUS STORY

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भारत वर्ष एक ऐसा अनोखा देश है ,जहां चमत्कारों की गंगा बहती है ‌।आप सब लोग ने महात्मा कबीर के बारे में सुना ही होगा ।उन्ही के जीवन से जुड़ी कुछ धटनाए जो किताबों तक नहीं पहुंच पाई ।और लोक कथाओं में  चर्चित हो कर रह गई । उन्हीं प्रमुख घटनाओं का जिक्र इस सन्दर्भ में किया गया है ।जो संसार में घटे अजुबा से कम नहीं ।   कबीर दास जी एक महात्मा पुरूष थे । अपने जीवन काल में उन्होंने ऐसे ऐसे अद्भुत कार्य किया जो कोई साधारण  मनुष्य नहीं कर सकता है ।वे हिन्दू और मुसलमान दोनों के ही प्रिय थे  । कहा     जाता है कि उनका जन्म एक हिन्दू   परिवार मेें हुआ था और लालन-पालन एक मुस्लिम  परिवार ने किया था । उनके पिता   एक बुनकर थे । कबीर दास जी  अपने पिता के काम में हाथ बटा रहेे थे एका एक उनके दिमाग में एक  भावना  उठी कि   गुुुरू दीक्षा लेना बहुत जरूरी है ।                                      यह  सोच कर उन्होंने गुरू रामानंद जी को अपना गुरु बनाने  की  इच्छा लिए उनके आश्रम पहुंचे तो रामानंद  जी ने शिष्य बना ने से इंकार कर दिया । तब  कबीर दास जी ने  यह ठान लिया कि मैं यदि शिष्य बना तो रामानंद जी ही मेर

VIDHI KA VIDHAN विधी का विधान A RILIGIOUS STORY

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कुछ लोगों का कहना है कि बिना प्रभु के इच्छा के कुछ भी नहीं  हो सकता है । प्रभु ही सर्वोपरि है । इस धरती पर ऐसे ऐसे कृत्य हुए हैं । जो यह साबित करने के लिए काफी है । कि बिना  प्रभु के इच्छा के कोई भी कार्य सम्भव नहीं हो सकता । विधी के विधान को कोई  भी टाल नहीं सकता है ।लोक कथाओं में चर्चित यह कथा भी इसी विषय से सम्बंधित है ।                                   पुर्व काल में एक ऋषि थे जिनका नाम सुकृष था ।  जो बहुत ही प्रतिभावान थे । जब भी धरती पर कोई   प्रतिभाशाली  व्यक्ति  होता है ।   तो सबसे पहले स्वर्ग में उसकी  चर्चा होने लगती है ।   कि अपनी प्रतिभा के प्रभाव से कोई हमारा  स्वर्ग ना छीन लेेें ।   ऋषि सुकृष का  प्रतिभा और   ज्ञान दोनों ही चरम सीमा पर था ‌। यह     बात उस वक्त  स्वर्ग में चर्चा का मुख्य   विषय बनी हुई थी ।             बात उड़ते उड़ते हुए  देवताओं के  राजा भगवान इन्द्र    तक पहुंच गई । तो भगवान इन्द्र को भी अपने पद की चिंता सताने लगी ।     काफी सोच विचार कर  भगवान इन्द्र ने ऋषि सुुुुकृष के बारे में जानने की कोशिश की । और इसी दौरान उन्होंने स्वयं  एक पंछी  का रूप धारण

SYSTEM OF NATURE & HUMAN प्रकृति और मानव कृत नियम A GOOD THOUGHT

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जिस तरह जीरो के जुड़ जाने से  एक का महत्व बढ़ जाता है ,यानी एक दस हो जाता है   वहीं फार्मूला मानव जीवन में और प्रकृति  पर भी लागू होता है ।मानव जीवन और प्रकृति के साथ यदि नियम  जुड़ जाता है । तो मानव जीवन और प्रकृति दोनों का महत्व बढ़ जाता है ।                     मानव जीवन में सिस्टम यानी नियम का बहुत महत्व है । नियम है तो हम सुरक्षित है । नियम नहीं है तो हम सुरक्षित नहीं है ।यही नियम प्रकृति के पास भी है । प्रकृति यदि नियम से चलती है तो  सब कुछ ठीक है   । वायु, पानी,खनीज, और वातावरण यह  सब कुछ सही ढंग से काम कर रहा है तो मानव जीवन में सब कुछ सामान्य रहेगा यदि प्रकृति अपना नियम तोड़ दे तो  सब कुछ असामान्य  हों जायेगा  जैसे वायु अपनी अनावश्यक  शक्ति प्रदर्शन कर दे  तो तबाही मच जायेगी । सुनामी, वायु और जल का अनावश्यक प्रदर्शन ही था । यह तो ईश्वर का बनाया हुआ एक सिस्टम यानी नियम है ।                                                 कुछ सिस्टम यानी नियम मानव  द्वारा भी बनाये गये है  ।जो हमारे बुजुर्ग थे ।उन लोगों ने हमारे लिए कुछ नियम बनाए हैं ।  ।पहला उदाहरण है कर्म , कर्म के आधार पर

MAHIMA MATA MAIHAR KI महिमा माता मैहर की A RILIGIOUS STORY

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हमारी पृथ्वी पर ऐसे ऐसे चमत्कार घटित हुए हैं ।जो अपने आप में एक मिशाल है । जिनके बारे में सोच कर मनुष्य  अचंभित हुए बिना नहीं रह सकता । इन्हीं  चमत्कारों के श्रृंखला में एक और नाम आता है ।भारत वर्ष में प्रसिद्ध एक बहुत ही पुराना मंदिर माता मैहर का एक मंदिर , जो कहा जाता है की मां के 52 शक्तिपीठो  में से एक है ।जिस मंदिर का रहस्य आज तक एक रहस्य ही बना हुआ है । मां के 52 शक्ति पीठों में से यह भी एक शक्ति पीठ माना जाता है ।कई लोगों का कहना है कि मां का हार इस जगह पर गीरा था । तबसे त्रिकुट पर्वत पर स्थित यह मंदिर  माता मैहर का मंदिर  के नाम से मशहूर है । सदियां बीत गई । मां के मंदिर की कृति में कोई फर्क नहीं पड़ा है । लोगों का कहना है कि जब मां का प्रभाव प्रकाश में आया ।  तत्कालीन राजाओं और महाराजाओं में प्रथम पूजा की एक होड़ सी लग गई । सदियों से चली आ रही इस प्रथा का अन्त महोबा के राजकुमार वीर आल्हा ने किया ।   ‌‌‌                         ‌          जो राजा शक्तिशाली  होता था ।सबसे पहले पूूजा अर्चना वही करता था । इस  तरह वाद-विवाद का  भय बना रहता था ।जो मां को पसंद नहीं था । त्रिकूट