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Showing posts from August, 2020

RUDRAKSHA KA MAHATVA -2 रूद्राक्ष का महत्व A RELIGIOUS STORY

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भगवान भोलेनाथ से जुड़ी यह प्रचलित कथा बहुत ही लोकप्रिय है । शास्त्रों और पुराणों का कथन है कि यह कथा मोक्ष दायनि है । इस कथा को कहने और सुनने मात्र से बहुत बड़ा से बड़ा संकट सहज ही दूर हो जाता है । साथ ही में पंच मुखी रुद्राक्ष पहनें से भी मनुष्य के जीवन में कभी कष्ट नहीं आता ।और भगवान भोलेनाथ की कृपा उस मनुष्य पर सदा बनी रहती है । हम इस परम पावन कथा को आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं ।                                                                               पुरातन काल में एक बहुत ही प्रतापी राजा थे । वह बहुत ही बड़े शिवभक्त थे । उनको एक पुत्र था जो उन्हीं के समान बलवान और बुद्धिमान था ।उस    राज्य के मंत्री को भी उसी के उम्र का एक पुत्र था दोनों मे बहुत ही प्रगाढ  दोस्ती थी । दोनों एक साथ विद्या   अध्ययन के लिए  जाते , एक साथ युद्ध अभ्यास करते करते किसोरा अवस्था में घुस गये । दोनों की आपसी सहमति देख कर लोग उनके दोस्ती की मिसाल देते । राजा और मंत्री दोनों के इस सम्बन्ध से बहुत खुश थे ।                                  एक दिन अनायास ही एक सदपुरूष   का उनके राज दरबार में आगमन हुआ । उ

RUDRAKSHA KA MAHATVA रुद्राक्ष का महत्व A RELIGIOUS STORY

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 भगवान भोलेनाथ के जीवन से जुड़ी एक ऐसी कहानी जो पुराणों में बहुत चर्चित है । हम रूद्राक्ष और उसके   महत्व के बारे में  एक सुंदर कथा का वर्णन करने जा रहे हैं ।   मनुष्य हो या देवता  सुख और दुख हर किसी के जीवन में आता जाता है । ऐसा नहीं है कि  हम मनुष्य है तो तकलीफ और खुशी केवल हमारे   लिए ही है । यह विधि का विधान है ।कि यह दोनों सबके जीवन में है । कभी कभी देवता भी इसके चुगंल में फस जाते हैं ।                                                  राजा दक्ष की पुत्री माता गिरजा के साथ  जब भगवान भोलेनाथ का विवाह हुआ तो कुछ दिन के बाद एक घटना घटी । राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया  ।  कुछ मन मुटाव के कारण  राजा दक्ष ने अपने जमाई भगवान भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया । यह बात जब माता गिरजा को मालूम पड़ी तो उन्हें बड़ा कष्ट हुआ । पिता ही तो है वे यदि रूठे है तो उन्हें मना लेंगे ।यह सोच कर माता गिरजा ने भगवान भोलेनाथ से यज्ञ में चलने का अनुरोध किया पर भगवान भोलेनाथ ने जाने से इंकार कर दिया ।                                                               तब माता गिरजा ने उनकी अवज्ञा करके अकेले ही यज्

A JOURNEY OF PANCHVATI DHAM KI यात्रा पंचवटी धाम की journey guide

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  दुनिया के मालिक जो दुनिया को शरण लेते हैं ।उनको शरण देने वाली स्धली पंचवटी अपने आप में एक अद्भुत सौंदर्य से सजी संवरी है । रामायण काल की एक ऐसी पवित्र जगह जिसके दर्शन मात्र से मनुष्य अपने आप को धन्य समझने लगता है । प्रकृति का यह अद्भुत नजारा  महाराष्ट्र प्रदेश के नासिक जिले में आज भी ज्यो का त्यो स्थित है । हम इसी प्रसंग को आप के समक्ष रखने जा रहे हैं ।                                               भगवान राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण   और अपनी भार्या सीता के साथ जब पंचवटी   पहुचते है तो  वहां का   मोहक  वातावरण  और प्राकृतिक सौंदर्य को देेख कर    उस जगह की तारीफ करने लगते हैं । और  वहां पर एक पर्णकुटी बनाकर  रहने लगते हैं । पास में गोदावरी नदी की अविरल धारा कल कल करती बह रही है ।  आज भी वह जगह  राम कुण्ड ,सीता कुण्ड,और लक्ष्मण कुण्ड  के  नाम से प्रसिद्ध है ।  भगवान राम के  वहां आ जाने से हिंसक जानवर अपने आप वहां से दूर चले गए ।                                    समय बीतता गया  एक दिन  रावण की बहन  सूर्पनखा  वहां आती है । और भगवान राम और लक्ष्मण को देख कर मोहित हो जाती है । फिर अपना मोहीन

THOUGHTS OF HEALTH स्वास्थ्य विचार -2

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  स्वास्थ से बड़ा कोई धन नहीं है । यदि हम स्वस्थ हैं तो  हमसे बड़ा कोई सुखी नही है । कुछ ऐसी चीजें हैं या नियम है । जिन्हें हम थोडी सी सतर्कता पूर्वक पालन करें ,तो हम पुरी तरह से स्वस्थ रह सकते हैं । एक बात तो अवश्य कहनी पड़ेगी  कि इस  लाक डाउन ने नुकसान तो बहुत किया । लेकिन इसके चलते लोगों को  एक शिक्षा भी मिल गयी ।जीवन जीने का वास्तविक  स्वरूप की झलक  देखने को मिल गई ।  बन्द के दौरान लोगों को  कुछ उपलब्ध नहीं हो पाता था तो जो चीज अपने पास है उसी में एडजस्ट करने की आदत पड़ गयी ।समय से नहाना समय से खाना खाना ।समय से सोना कहने का मतलब यह है सब कुछ का सही नियम है ।उसका पालन होने लगा ।छोटी से छोटी बिमारी भी केवल रहन सहन  सही होने के कारण बीना   दवा के ठीक   हो गयी  ‌।  इसी का एक छोटा सा अनुभव इस सुविचार में  दर्शाया गया है ।                                                                             बन्द के दौरान  आयुष मंत्रालय या मीडिया द्वारा जो भी सावधानी बरतने को कही  गई  उसे लोगों ने  पालन किया । उन्होंने गुनगुना पानी का सेवन किया ।  काली मिर्च,अदरक,  लौंग और तुलसी की चाय पिया । रात

SHIV NAGARI KASHI शिव नगरी काशी A RELIGIOUS STORY

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काशी बाबा विश्वनाथ जी की प्रिय नगरी है । कैलाश के अलावा भगवान शिव की कोई  प्रिय जगह है तो वह है उनकी काशी नगरी । काशी नगरी भगवान शिव को इतनी प्रिय है कि प्रलय के समय भगवान शिव इसे उठा कर अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं ।इस लिए पृथ्वी पर होते हुए भी इसकी गिनती पृथ्वी पर नहीं होती । वैसे तो भगवान शिव के ली लाओ का न कोई शुरुआत है न कोई अन्त है ।                                                  हरि अनन्त हरि कथा अनंता । कहहू सुनावहू बहू विधि सन्ता  । ।                                                 आज हम काशी नगरी की बहुत ही सुन्दर कथा का वर्णन करने जा रहे हैं ‌।  शिव नगरी काशी  गंगा नदी के तट पर बसी यह नगरी बहुत ही  पवित्र और पावन है । कहा  जाता है कि जब मां  आदिशक्ति ने परब्रम्ह शिव जी को वरण किया था । तो माता ने अपनेे  त्रिनेेत्र के साथ-साथ उन्हें बहुत सी शक्ति प्रदान की थी ।उस वक्त शिव जी ने भी अपनी महत्ता को कम नहीं होने दिया ।और माता आदिशक्ति को  अर्धांगिनी होने का दर्जा दिया।और गंगा नदी के किनारे पांच कोस के क्षेत्र में मां के लिए  भव्य नगर का निर्माण करवाया ।   यही सुन्दर नगर क