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Showing posts from October, 2020

GOOD THOUGHT OF CHILDRENS बच्चो के लिए एक अच्छी सोच

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बच्चे  हमारे भविष्य  के  रखवाले होने के साथ साथ समाज और देश का भविष्य  भी उन पर निर्भर  होता है। ऐसे मे हमारा भी कुछ फर्ज  बनता है की हम उनकी देख भाल के  साथ साथ  कुछ अलग भी उनका ध्यान रखे।  ऐसी ही कुछ छोटी  छोटी  बातो को ध्यान मे  रखने की बात इस प्रसंग  मे की गई है ।                                                                                        आप लोगों ने सुना होगा ।  महाभारत काल मे एक  घटना घटी थी , अर्जूून  की पत्नी  देेेेवी  सुभद्रा के  गर्भ मे ही  अभिमन्यु  ने चक्रव्यूह  के युद्ध- कला   का  ज्ञान  प्राप्त कर लिया था  ।  कहने का    तात्पर्य  यह है कि शिशु काल मे  बच्चों  का दिमाग बहुत तेज रहता है  । वह देख कर ,सुनकर  ज्ञान  अर्जित करता है  । उसकी गति बहुुत  तीव्र  होती है ।   इस   लिए  उसकी  देख भाल  के अलावा  हमेे और बातो का  ध्यान रखना चाहिए  ।  समय  की  व्यस्तता के कारण  लोग बच्चों  को टी़. बी. या तो  मोबाइल  केे सहारे  छोड़ देतेे है , बच्चे  या तो गेम या मार  धाण के कार्टून  देेेेेखते रहते है।  उनका पुरा  ध्यान  मार धाण, ईर्ष्या, द्वेष,  चोरी,  बेइमानी,  एक दूसरे को नी

BHAKTRAJ INDERDHUMAN भक्तराज इन्द्रधुम्न

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     पूर्व काल मे घटित  एक सुन्दर कथा जो युगो युग तक जन मानस  के हृदय  पटल पर भक्त और भगवान के बीच अनमोल अमिट  छवि बन कर रह गयी  । प्रेम की एक बेमिसाल  कथा का वर्णन  हम आज आपके  समझ रख रहे  है।                                                                            पूूूूर्वकाल मे एक बहुत ही  प्रतापी ,कर्मनिष्ठ , धर्म  परायण, राजा हुए। जिनका नाम  इन्द्रधुम्न  था। राजा  इन्द्रधुम्न एक कुुुुशल  शासक होनेे के साथ  साथ  धर्म को बहुत महत्व देते थे उनके राज्य मे प्रजा भी उनके मधुर स्वभाव  के कारण  उनसे बहुत प्रभावित  थी।  भगवान  श्री हरि विष्णु  के परम भ क्त राजा इन्द्रधुम्न पर भक्ति  का वह  नशा सवार हुुआ  की वानप्रस्थ आश्रम से पहलेे ही    राजा राज पाठ  से विमुख हो गये  । उनकी प्रजा और अन्य  राज गुुरूओ ने  उन्हें  समझानेे की बहुत कोशिश की   पर उन्होने   किसी की नही सुनी ।                                    एक निर्जन  वन मे  जाकर  राजा ने सन्त महात्माओ जैसा  जीवन जीने लगे।  ब्रहम मुुुुुुहूर्त  सेे लेकर  संध्या काल तक भगवत भाव ,पूजा अर्चना  मेे व्यतीत  होने लगे।  खुुंखार   जानवर भी उनके समक्

MATSYA AVATAR मत्स्य अवतार

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भगवान श्री हरि विष्णु के अनेक अवतार हुए उनमे मत्स्य अवतार का महात्म्य  बहुत ही शुभ कारी है। ऋषी, मुनि, साधु ,सन्त ,गौ, ब्रह्मण ,पशु ,पंछी ,नर ,नारी सभी के रक्षा के लिए  भगवान श्री हरि विष्णु  ने  कोई भी रूप धारण करने मे कभी भी संकोच नही किया है। मत्स्य अवतार की  परम शुभ कारणी कथा का वर्णन हमने  इस कथा प्रसंग मे किया है  ।                                  पुरातन काल मेे ब्रह्मा  जी ने एक दिन शुुुभ  संध्या के  समय जन कल्याण के लिए  वेदो की रचना की  ।जिन वेदो का अनुसरण  करके ऋषी, मुनि अपना जीवन  सुगम , सुन्दर और शान्तिमय ढंग  सेे बितातेे थे ।और अपनेे आहार व्यवहार से जन  मानस को  प्रभावित करते थे। जिससे जन मानस का  जीवन भी सुन्दर और सुगम रूप से व्यतित  होता था।  ऋषी, मुनियो  द्वारा प्रबचन प्रसार से जन मानस को   जीवन जी नेे की  कला मे   वृधि  होती  थी।  आपसी सहयोग और प्रेम  की वृधि  होती  थी।                                     एक दिन महादुष्ट राक्षस हयग्रीव  को वेेेदो की सुचना मिली और उसने वेदो को चुरा लिया ।   ऋषी, मुनि  बहुत दुखी  हो गये उन्होने मिल कर जगत की  रक्षा  करने वाले  भगवान श्र

THOUGHT OF HEALTH स्वास्थ्य विचार -3

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  मनुष्य का शरीर उपर वाले की एक अद्भुत  रचना है जिस तरह हम अपने कपड़े  की देख भाल करते है। कही कोई दाग ,कही कोई धब्बा तो नही है ,समय से धुलवाना, इस्त्री करना ठीक  वैसे ही हमे अपने शरीर पर भी ध्यान रखना चाहिए  । जरा सी लापरवाही  हमे कभी कभी बहुत भारी पड़ जाती हैं  ।हमे पूर्ण रूप से स्वस्थ  रहने के लिए छोटी  से  छोटी बात का ध्यान रखना चाहिए  ।हम आज इसी बिषय का वर्णन कर रहे है  ।                                                                   हमारा  शरीर अपने जरूरत के  अनुसार अपनी जरूरत की चीजे  स्वंय  बना लेता है।  जब हमको भूख लगती है तो हमारा    शरीर  लार, पित,वसा, मज्जाऔर भी कई तरल पदार्थ जो हमारे भोजन को सुपाच्य बनाने मे काम आता है स्वंय ही  बना लेता है।  हमारी  कोई गल्ती सेे या शरीर के अपनी  कोई गलती से कोई चीज यदि शरीर अधिक बना भी लेता है तो शरीर  उसे कोई  ना कोई बहाने से स्वंय ही बाहर कर डालता   है ।  जैसे शरीर मे जब पित थोडा भी अधिक हो जाता है तो शरीर पित को  कफ के रूप मे निकालना शुरू कर देता है । तो हमे सर्दी  जुकाम हो जाता हैै  ।  हम घबरा जाते है और उसे         रोकने के लिए कई