दुनिया में मात्र भारत ही ऐसा देश है जहां सभी धर्मों को एक समान सम्मान दिया जाता है । यहां के लोग सभी धर्मों को अपने हिसाब से मनाते हैं । चाहे होली हो ,या दिवाली, ईद हो , क्रिसमस कोई भी त्योहार हो सब मिल कर जाति भेद भाव छोड़ कर सब सब त्योहार में शामिल होते हैं । ईश्वर के सभी अवतार किसी ना किसी उद्देश्य को लेकर ही हुए ।ऐसे ही एक अवतार का जिक्र हम आज महान शान्ति दूत ,एक अद्भुत चमत्कार से भरे प्रभु यीशु मसीह के चरित्र के एक सुंदर अंश द्वारा करेंगे । प्रभु यीशु मसीह का जन्म एक गड़ेरिया परिवार में हुआ था । प्रभु यीशु और प्रभु कृष्ण में कुछ बातें सामान्य थी । प्रभु कृष्ण जिस तरह अहिर यानि यादव जो गौ पालन में दक्ष होते हैं । उसी तरह प्रभु यीशु गडेर के यहां जिन्हें आज पाल कहा जाता है जो भेड़ पालन में दक्ष होते हैं ।उस वक्त छुआ छूत, रंग भेद ,जाति -प्रथा, आदि कुप्रथाएं अपनी चरम सीमा पर थी ।लोग उच्च, निम्न के भेद भाव में बंटे थे । निम्न वर्ग के लोगों दास के अलावा कोई काम नहीं करने दिया जाता था । ना ही उन्हें शिक्ष
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