MAHAKALESWAR MAHADEV महाकालेश्वर महादेव A RELIGIOUS STORY


 जिस तरह भगवान  भोलेनाथ को  काशी और  कैलास  प्रिय  है  ।उसी  तरह भगवान  भोलेनाथ को उज़्जैन नगरी भी  प्रिय  हैं। कारण भगवान भोलेनाथ के बारह ज्योतिर्लिंग  मे से एक महाकालेश्वर महादेव ज्योतिर्लिंग भी  है। जो  मध्य प्रदेश के  उज्जैन जिले  मे स्थित  है। कहा  जाता है  कि यह  एक ऐसी  पुण्य नगरी है, जहां स्वयं भगवान भोलेनाथ मां गिरजा के  साथ  सदैव  निवास  करना पसंद  करते है। इस नगरी मे कई प्रतापी राजा  हुए जिनमे  एक राजा  विक्रमादित्य हुए, जो बहुत  पुण्य आत्मा ,भगवान  भोलेनाथ के  परम  भक्त थे  ।अपने शासन काल मे उन्होने महाकालेश्वर महादेव  मंदिर  का  सुशोभीकरण किया।   कालो के काल महाकाल के  प्रागटय कि पावन कथा को हम आपके  समक्ष प्रस्तुत करते हैं।                                                                 बहुुुत  समय पहले उज्जैन नगरी  मेे एक   ब्रह्माण  परिवार रहता था । जो  बहुत  ही शिव भक्त  था।  उस  ब्रह्माण के भगवान  भोलेनाथ के  प्रति  अपार  श्रध्दा  को  देेेखकर उसके पुुत्र और पौत्र  भी  शिवमय  हो गये। उन्होने एक  शिव  लिंग की स्थापना करके  विधिवत  पूजन और  अर्चन  करने  लगे  ।       उस  समय  समीप मे ही स्थित रत्नमाल गिरी  पर्वत  पर  एक  भयंकर  राक्षस  उत्पन्न  हुआ  । जिसका नाम  दूष्ण  था वह  बहुत ही दुष्ट  स्वभाव  का था।               अपने बल  की बढोतरी के लिए उसनेे घोर  तपस्या करके ब्रह्मा जी  को  प्रसन्न  किया  और  प्रसन्न करके उसनेे ब्रह्मा जी से   अति  शक्तिशाली   होनेे का वरदान मांंग  लिया।                             कुछ  समय बाद ही  उसेे अपने  शक्ति पर इतना अभिमान हो गया  कि वह  ऋषी, मुनि, और देवताओ  को  भी  कष्ट  देने  लगा।  उसके  अत्याचार से  त्रस्त होकर सभी देेेेेवता  ब्रह्मा  जी के  यहांं पहुंच   कर  अपनी  रक्षा  हेेेतु  ब्रह्मा जी  सेे याचना  करनेे  लगेे ।  तब  उनके इस  समस्या का समाधान करने के लिए  ब्रह्मा जी ने कहा  " मैनेे ही उसेे असीम शक्ति  प्राप्त  होने  का  वरदान  दिया  था। मै ही उसका  बुरा  नही सोच  सकता , इसलिए   मै आप लोगों  को  सब कष्टो को हर  लेने वाले भगवान भोलेनाथ की शरण  मे  जाने की सलाह  देता हुँ   । वे ही  आप लोगों की रक्षा  के लिए  हर  तरह से सक्षम है। आप लोग उन्ही  कालो के  काल महाकाल की  शरण  मे  जाइए आप सभी का कल्याण  होगा  ।                                                     सभी ऋषि  ,  मुुुनि   और  देेेेेवता गण  भगवान  सदाशिव के यहां  पहुचे। और विधिवत  पूजा अर्चना  के बाद उन्होने अपना  आने  का उदेश्य भगवान भोलेनाथ के समक्ष  रखा  ।और कहा  " प्रभु  तीनो  लोक  आपके  आधिन है।आप तीनो लोको  के स्वामी है। हम सब आपके  शरण  मे आये हुए  है। देवो के देेेव महादेव  आप  तो  स्वयं त्रिकालदर्शी हैं।  हे गिरजापति आप  हमारी  हर तरह  से रक्षा करें । आप के  अलावा  ऐसा  कोई नही जो  हमे हमारे कष्ट   से  मुक्ति  दिला सके  । हे दीनानाथ  आप  हमारे  दुखो को  दूर  करें ।हम लोग  दुष्ट  राक्षस दूष्ण  केे अत्याचारो से दुखी  होकर   आपकी  शरण  मेेआये हुए हैं  ।                                                                देेेेेेवाधिदेव  सदाशिव  भगवान भोलेनाथ  उनकी  प्रार्थना को सुन कर निश्चिंत होकर उनको अपने  अपने  धाम  जाने  की आज्ञा  देते  है।  और कहते हैै कि " मैै बहुत  शीध्र    उस दुष्ट स्वभाव राक्षस  दूूूूूष्ण  सेेआप  लोगों को  भयमुक्त  कर  दूंगा। "  कुुुछ समय  बाद  सदाशिव भगवान भोलेनाथ की  माया से प्रभावित  होकर  दुुुुुष्ट  दूष्ण्   वहां के शिवभक्तो को  सताने  लगा । सभी  शिवभक्त उस शिव मंदिर  मे  अपने  बचाव के लिए  घुस गये,  उनको  विश्वास  था की देवाधिदेव सदाशिव भगवान भोलेनाथ  हमारा कोई  अहित  नही  होने  देंगे।  भगवान भोलेनाथ  ने अपनी माया से मंदिर  के  चारो तरफ  एक गोलाकार गढढा  बना दिया  ताकि  वह  दुष्ट  उसे पार  न कर सके।  पर वह दुष्ट  उस गढढे को  पार करके  शिव भक्तो को त्रास  देने लगा। तब सदाशिव भगवान भोलेनाथ की   क्रोधांग्नि  भडक  गई  । क्रोधवश भगवान सदाशिव  के  मुख से एक  अग्निमय   हूँकाऱ  निकली  जो  उस दुष्ट स्वभाव राक्षस  दूष्ण  के प्राणो  को  हरने  मे  सफल  हो गई  ।चारो  तरफ  छाये  अंधकारमय  आतंक का अन्त  हो गया  । देव,  ऋषि, मुनि ,नर ,नारायण , सभी  प्रसन्न  होकर  फूलो की वर्षा करने  लगे। वह  दुष्ट स्वभाव राक्षस  दूष्ण  सभी के लिए  काल के  समान  था। उसका वध करके  सदाशिव भगवान भोलेनाथ कालो के  काल महाकाल के  नाम से  प्रसिद्ध  हुए  । हर हर महादेव                                                                    दोस्तों यह  कहानी आपको कैसी लगी  । दो शब्द कमेंट  बाक्स मे  अवश्य  लिखे  । धन्यवाद  लेखक -भरत गोस्वामी 





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