THOUGHTS OF HEALTH -4 स्वास्थ्य विचार -4

स्वास्थ्य विचार लिखने का हमारा  उद्देश्य यह  हैं कि  इससे  ज्यादा  से ज्यादा लोग  फायदा उठा सके  ।जो काफी  सफल  लोगों  से ग्रहण  किया जाता  है। इस  बात  का अध्ययन करने पर  यह  ज्ञात  होता है। आज भी आयुर्वेद  और योगा  का सहारा लेकर  बहुत  लोग  अपना और अपने  समाज के लोगों का कल्याण  कर रहे है।  इसी  तथ्य को  दर्शाती यह  एक सत्य  कथा प्रस्तुत  करने जा रहे है।                                                                     शाम को  7.55  की   ट्रेन  थी। चुकी  उसका गांव  देेेेहात मे पडता है लाईट  वगैैैैरह  की दिक्कत  है  इसलिए   6 बजेे शाम के बाद  गांव से  स्टेेशन आने के लिए कोईभी साधन नही मिलता  है  ।  अजय  शाम  साढेे छः बजे ही स्टेशन चला आया था। अजय  एक  खाली बेन्च  पर  बैठ  गया।  थोड़ी  देर बाद उसे  उबन महसूस हुई,  उसने  सोचा ,क्यो  न अखबार  लेे लिया जाय  थोड़ा  समय  व्यतीत हो जायेगा ? यह सोच कर  स्टेशन पर  स्थित  सर्वोदय बुक  स्टाल की तरफ  उसके   पैर जाने लगे।                            इधर उधर  देखने के  बाद  उसकी  नजर एक   पुस्तक पर  पडी , जिस पर  साफ  शब्दो मे लिखा गया था "पथरी  की अचूक  दवा "  उस  पुुुुुुस्तक  को  देखते  ही उसे अपनी  पत्नी साधना की याद  आ गयी।  जो  अपने  पित्तास्य की पथरी  को लेकर बहुत   परेेेेशान थी ।  उसकेे  पित्तासय की थैली  मेे 20mm  की पथरी थी  ।  अजय  भी कम  परेशान नही था  । उससे अपनी पत्नी के  अस्हय  वेदना को देख कर बहुत दुख  होता था।   फिर वह   कोई भी व्यक्ति  जहाँ  दिखानेे को   कहता वहां   अपनी पत्नी  को  लेकर  जाता था।  पर उसकी पत्नी  को आराम  नही मिला।                                        ट्रेन  की  आने की सुचना प्रसारण  हो  रही थी। लोगों  मे हलचल की आहट  पाकर  अजय  की तन्द्रा  टूटी ।वह  भी  अपना समान को  समेेटे ट्रेन  की बेेस्ब्री से इंतजार करने   लगा। कुछ देेेर  बाद उसका इंतजार  खत्म हुआ । ट्रेन  रेगते हुुए स्टेशन पर  आ गई। यात्रा के दौरान   अजय  उस पुस्तक को कई बार  पढ लिया था।  घर आने के बाद  अजय  ने सारी  बात  अपनी पत्नी  साधना  से बताई।   साधना भी अजय की बातो को सुनकर बहुत खुश  हुई।                                                            वैसे तो उस पुस्तक  मे  कई विधियां बताई  गई थी  ।जैसे  पथ्थर चटटा का सेवन,  समुन्दर   का फेन,   एक विशेष प्रकार    का  टयूूूब के आकार का नीबू  और सादा नीबू का जिक्र  किया गया  था ।  अजय की पत्नी  ने सादा नीबू जो आसानी से प्राप्त हो सकता था।  उसका उपयोग किया वह सुबह ब्रश (दातुन)  करने के बाद पौना गिलास  सादा पानी मे आधा  सादा नीबू  का बीज  निकाल कर उस पानी मे निचोड़ कर  पी जाती थी।  उसके आधे  घन्टे  के बाद ही कुछ नास्ता वगैरह लेती थी। ऐसा करते  करते छः मास  बीत  गये।  उसे कोई  परेशानी नही हुई।  जिस औरत को मास मे एक बार अवश्य  उस असहनीय  दर्द  का सामना करना  पडता था ।छः मास  बीत गये  उसे एक बार भी उस दर्द  का सामना नही करना पड़ा  ।उसके बाद  उसने धीरे  धीरे  वह  नीबू  पानी लेना बन्द  कर  दिया।                                                       उस  पुस्तक  मे यह भी लिखा था कि यह एक ऐसा रोग हैै  जो दुुुुुबारा हो सकता  है ।दुबारा होने  पर आप इस उपचार  का प्रयोग  यथावत( पहलेजैसा)  कर सकते हैं  । या यदि  आप चाहते हैं कि फिर  दुबारा  इस असहनीय  दर्द  से दूर  रहे तो  आपको इस उपचार विधि को नियमित  रखना पड़ेगा  । क्युकि नीबू  ऐसा फल है जो नियमित सेवन  करनेेे से पथरी  का  निर्माण नही होने देगा।                                                           इस घटना को सात  साल व्यतीत  हो  गये  अजय की पत्नी  को  कभी परेशानी नही  हुई। हां एक बात  अवश्य  है कि उसे जरा भी आभास होता है तो कुछ दिनों  तक वह सुबह ब्रश  करने के बाद नीबू पानी  ले लेती है।                             अजय  को एक बहुत बड़ी  परेशानी से छुटकारा मिला था। वह उस पुस्तक के लेखक  को धन्यवाद देना चाहता  था। इस नियत से उसने पुस्तक  मे लिखे फोन नम्बर पर फोन  किया।  उधर  से आवाज आई " आप कौन  बोल  रहे है " मै अजय  आपका एक प्रशंस्क बोल रहा हूँ। आपके  बताए विधि का अनुसरण  करके मेरी पत्नी  पूर्ण रूप से  स्वस्थ  हो गई  है।  मै आपको दिल से धन्यवाद  दे रहा हूँ  ।"   उधर  से आवाज आई " सांरी सर  मै उनका पोता बोल रहा हूं दादा जी को गुजरे तो पांच साल हो गये। " अजय  को ऐसा सुन कर  बहुत तकलीफ हुई  ।उसने बुझेमन से  रिसीवर  रखा। उसकी आँखें आसूंओ से झलक उठी थी।                                                                      दोस्तों यह एक सत्य घटना है जो  इस  स्वास्थ्य विचार के जरिये  आप लोगों तक  पहुंचाने कि एक छोटी सी कोशिश की  गई  ।इस  सत्य  स्वास्थ्य विचार  से किसी  भी व्यक्ति को  फायदा मिले तो मुझे बहुत  खुशी  होगी  ।आप अपना विचार कमैन्ट बांक्स  मे लिख सकते है। धन्यवाद  लेखक -भरत गोस्वामी  



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