GOOD THOUGHT OF CHILDRENS बच्चो के लिए एक अच्छी सोच


बच्चे  हमारे भविष्य  के  रखवाले होने के साथ साथ समाज और देश का भविष्य  भी उन पर निर्भर  होता है। ऐसे मे हमारा भी कुछ फर्ज  बनता है की हम उनकी देख भाल के  साथ साथ  कुछ अलग भी उनका ध्यान रखे।  ऐसी ही कुछ छोटी  छोटी  बातो को ध्यान मे  रखने की बात इस प्रसंग  मे की गई है ।
                                                                                       आप लोगों ने सुना होगा ।  महाभारत काल मे एक  घटना घटी थी , अर्जूून  की पत्नी  देेेेवी  सुभद्रा के  गर्भ मे ही  अभिमन्यु  ने चक्रव्यूह  के युद्ध- कला   का  ज्ञान  प्राप्त कर लिया था  ।  कहने का    तात्पर्य  यह है कि शिशु काल मे  बच्चों  का दिमाग बहुत तेज रहता है  । वह देख कर ,सुनकर  ज्ञान  अर्जित करता है  । उसकी गति बहुुत  तीव्र  होती है ।   इस   लिए  उसकी  देख भाल  के अलावा  हमेे और बातो का  ध्यान रखना चाहिए  ।  समय  की  व्यस्तता के कारण  लोग बच्चों  को टी़. बी. या तो  मोबाइल  केे सहारे  छोड़ देतेे है , बच्चे  या तो गेम या मार  धाण के कार्टून  देेेेेखते रहते है।  उनका पुरा  ध्यान  मार धाण, ईर्ष्या, द्वेष,  चोरी,  बेइमानी,  एक दूसरे को नीचा  दिखाने की प्रवृति इन सभी  विषयो पर ज्यादा  रहता  हैै ।  जो आगे चल कर    उनके   जीवन  को प्रभावित  कर सकता है।               उनके अन्दर  प्रेम ,  अहिंसा, सम्भा़व, परोपकार , करूणा ,दया ,क्षमा ,बडे छोटे  का लिहाज,   इन  सब भावनाओं  का  समावेश कम  होगा । देखा  जाये तो कही न कही  हमारी अपनी कमी की झलक साफ  दिखाई देती है   । यदि समय से हमने थोड़ा  सा ध्यान दिया  होता तो यह नौबत  नहीं  आती  । मां और बाप बच्चों  के पहलेे गुुुुरु होते है  ।बच्चा एक कच्चेे मिट्टी  की तरह होता हैै । उसको अच्छा  या बुुुरा बनाने मे मां और बाप का हाथ होता  हैं  ।बच्चा बचपन मे जो सिखता  है वही व्यवहार वह बड़ा   होकर  हमारेे साथ  ,अपने पडोसी  के साथ  अपने  शिक्षक के साथ  ,अपनेे समाज के साथ  ,अपने  देश के साथ वही व्यवहार करने की   हमेशा कोशिश करता है।                                                            यदि हम अपने  बच्चों को अच्छी आदत, अच्छा संस्कार  सिखाते  है तो  आगे चल कर उनका भविष्य  उज्जवल हो सकता  है।  मातु श्ररी जीजाबाई जी ने   अपने पुत्र  महाराज शिवाजी  को भगवान श्रीराम केे जीवन  गाथा को सुना सुना कर   उन्हे   वीर, साहसी, रणवीर, अध्यात्म वीर और एक कुुशल शासक राजा  बनाया।    

    कबीर दास जी  ने  कितनी  सुन्दर बात कही हैं  ।                कबिरा संगत साधु कि,   जो गन्धी का वास   ।                   जो  कुछ गन्धी दे नही,  तो भी वास सुवास     ।।        कबीर दास जी कहते है कि सभ्यता,संस्कृति,अध्यात्म और आदर्श  उस इत्र (गन्धी ) बेचने वाले के समान है  ।जिनके पास जाने मात्र से आपको सुन्दर  सुगन्ध  का वास  प्राप्त  हो जाता है। चाहे वो इत्र वाले से आप इत्र खरीदते है या नही,आपको इत्र बेचने वाला आप को इत्र देता है या नही। यह बात  कोई मायने नही रखती।  फिर  भी आपको सुन्दर  सुगन्ध  वास मुफ्त मे मील ही जाता है।                               आप अपने  बच्चे के भविष्य  के बारे मे थोड़ा  सा ध्यान देते  है।  तो उनका भविष्य  उज्जवल  अवश्य  होगा।           दोस्तों  यह शैक्षणिक विचार आपको कैसा लगा  ।दो शब्द  कमेंट  बॉक्स  मे जरूर लिखे। धन्यवाद  लेखक -भरत गोस्वामी 

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