THOUGHT OF HEALTH स्वास्थ्य विचार -3


 मनुष्य का शरीर उपर वाले की एक अद्भुत  रचना है जिस तरह हम अपने कपड़े  की देख भाल करते है। कही कोई दाग ,कही कोई धब्बा तो नही है ,समय से धुलवाना, इस्त्री करना ठीक  वैसे ही हमे अपने शरीर पर भी ध्यान रखना चाहिए  । जरा सी लापरवाही  हमे कभी कभी बहुत भारी पड़ जाती हैं  ।हमे पूर्ण रूप से स्वस्थ  रहने के लिए छोटी  से  छोटी बात का ध्यान रखना चाहिए  ।हम आज इसी बिषय का वर्णन कर रहे है  ।                                                                   हमारा  शरीर अपने जरूरत के  अनुसार अपनी जरूरत की चीजे  स्वंय  बना लेता है।  जब हमको भूख लगती है तो हमारा    शरीर  लार, पित,वसा, मज्जाऔर भी कई तरल पदार्थ जो हमारे भोजन को सुपाच्य बनाने मे काम आता है स्वंय ही  बना लेता है।  हमारी  कोई गल्ती सेे या शरीर के अपनी  कोई गलती से कोई चीज यदि शरीर अधिक बना भी लेता है तो शरीर  उसे कोई  ना कोई बहाने से स्वंय ही बाहर कर डालता   है ।  जैसे शरीर मे जब पित थोडा भी अधिक हो जाता है तो शरीर पित को  कफ के रूप मे निकालना शुरू कर देता है । तो हमे सर्दी  जुकाम हो जाता हैै  ।  हम घबरा जाते है और उसे         रोकने के लिए कई  तरह के उपाय  करने  लगते है। दवा   वगैरह  लेनेे  लगते  है। लेेेेकिन  यह  गलत है।                                           शरीर को अपनी  सफाई करने मे बाधा आती है।    और वह अपना कार्य ढंग से नही कर पाता उसे समान्य होने मे दो दिन के बजाय चार दिन लग जाते है। शरीर जब अपनी साफ सफाई  करता है तो हमे थोडा सहयोग करना चाहिए  । तुरन्त कोई दवा नही लेना चाहिए  । उस वक्त  यदि  शरीर को प्यास महसूस  हो तो ठंडा जल नुकसान करता है  । उस वक्त हल्का गुनगुना जल लेना चाहिए ।  एक बात का  ध्यान रखना चाहिए उस समय शरीर को यदि एक गिलास पानी की जरूरत हो तो शरीर को आधा गिलास पानी  देना चाहिए  ।  हो  सके तो  उस  वक्त थोड़ा  गरम  जगह पर रहने पर  शरीर को आराम  मिलता है। पंखा  बन्द रखना चाहिए  या दोनों कान को कपडेे से ढक कर रखे तो  शरीर  को आराम मिलता है।  24घंटे बाद  ही कोई उपचार करना चाहिए  ।                                                                शरीर अपनी  साफ सफाई  अपच के द्वारा भी   करता है। जब शरीर के अन्दर  अनावश्यक वस्तुएं एकत्रित  हो जाती हैं  तो वह जुुुुलाब या बोमेटिंग  के द्वारा  भी अपनी साफ सफाई करता है  ।यदि ऐसी स्थिति आ जाय तुरन्त  दवा नहीं  लेना चाहिए  । गुुुनगुना पानी नही पीना चाहिए। इसमे जितना  ठंडा पानी पियेंगेे उतना ही   फायदेेमंद होता है  । पांच या छ: बार      जुलाब होने के बाद ही  उपचार लेना चाहिए  ।    शरीर मे कमजोरी महसूस हो तो  नमक और शक्कर  का घोल लेेेे लेने  से  तुरन्त कमजोरी  खत्म हो जाती है।                                   अपने शरीर  की गतिविधियां    निराली  है। इन सब छोटे  छोटे  रोग मे जहाँ  24 घंटेे बाद या कुछ देर बाद दवा  लेेेने से   आराम मिलता है । वही पर  कुछ देर बाद  दवा लेेेेने  से  कुुुछ रोग   नुकसान  भी करते है। जैसे  बुखार मे 24घंटे के भीतर  दवा नही  लिया तो मलेरिया होने  के  चांंस बढ जाते है।   हमारेे शरीर  की इतनी   सूक्ष्म  गतिविधियां  है कि  हम छोटी छोटी बातो  पर ध्यान  नही देते  ।और किसी  बडी मुसीबत को आमंंत्रित कर बैठे हैै ।                                                         हमारे    खानपान मे दो ऐसी  वस्तुुुएं है जो हमारेे शरीर को दोनों तरफ से प्रभावित  करती है। यानी कम हो जाये तो  नुकसान और ज्यादा  हो जाये  तो नुुुुकसान   । नमक और शक्कर , नमक कम हो जाये तो खाना रुचिकर  नही होगा और   ज्यादा हो जाये तो भी खाना  रुचिकर  नही होगा  ।इसके अलावा नमक कम खाने की आदत हो  तो लो . वी.  पी.   की शिकायत और जरा ज्यादा खानेे की आदत हो तो हाई वी  पी की  शिकायत  होने का डर रहता है।और डाईबीटीज होनेे का  चांस बढ जाता    है  । शक्कर  प्रयोग मे भी क्रमश:   यही समस्या  है। इसलिए   दोनों  वस्तुओ  का  प्रयोग  सावधानी से करना चाहिए  । इन छोटी छोटी  बातो  का ध्यान  रख कर एक सुुुुखी जीवन  जिया जा सकता है   ।                                              दोस्तो यह स्वाथ्य  विचार   आपको  कैैैैसा लगा  दो शब्द कमेंट     बाक्स मे जरुर लिखे  धन्यवाद   । लेेेेखक --भरत गोस्वामी 

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