Ek LINGESWAR MAHADEV एक लिंगेश्वर महादेव A RILIGIOUS STORY


पुरी दुनिया मे ऐसे दो ही शिव मंदिर है  जो साल भर मे एक ही  दिन यानी केवल शिवरात्रि के दिन ही खुलते हैं  ।एक उज्जैन नगरी मे बसा भगवान शिव का चद्ररेश्वर मंदिर और एक  राजस्थान के जयपुर जिले का एक लिंगेश्वर महादेव मंदिर ।शहर के बीचों  बीच बना यह शिव मंदिर अपने आपमे कई  रहस्यो  को संजोए हुए है।  मोती डोंगरी   नामक स्थान पर बना यह शिव मंदिर महाराणा प्रताप के पुर्वजो  द्वारा बनवाया  गया है।                                       
                 पुरातन काल का बना यह  शिव मंदिर  राणा खानदान केे लिए   बहुत ही  शुभ साबित  हुुुआ  । लोगो का कहना है कि   आज तक एक लिंंग जी  महाराज कि कृपा से राणा खानदान के किसी भी राजा ने  हार का  मुहं  नही देखा  ।एक बार की बात हैै राणा जी के खानदान का कोई   राजा  भगवान शिव के इस मंदिर का जिरणोधार करवा रहे थेे उनके दिमाग मे यह बात आई कि  भगवान शिव के लिंंग के साथ साथ उनकेे  परिवारीय  श्री गणेश जी  और उनकी  पत्नी  पार्वती  जी   की मूर्ति  स्थापना कर देनी चाहिए। उन्होने  आचार्य जनो से   विचार  विमर्श करने केे बाद   श्री गणेेश जी और  पत्नी पार्वती  जी मूर्ति की स्थापना किया। और पूर्णतया विधि विधान से एक लिंग जी की पूजा अर्चना  किया ।                                                      राज परिवार  इस पुजा अर्चना सेे बहुत खुश था कि एक दुखद घटना सामने आई  सैकड़ों  पहरेदारो केे होते हुए भी श्री गणेेश जी और पार्वती  जी की   मूर्तियां  रहस्य मय ढंग  से गायब  हो  गई    ।  फिर क्या  था ,जनता मे यह बात जंगल मे लगी आग   की  तरह  फैल गई  । राज परिवार  इस  घटना से  दुखी   हुआ । उन्होने राज गुरूओ और विद्वान पुरुषो की एक   सभा बुुुुलाई । काफी संघर्ष  केे बाद   यह बात तय किया गया  कि मूर्तिया पुनः  स्थापित की जानी चाहिए  । तत्कालीन राजा ने पुनः  मूर्तियो की स्थापना  करवाई  ।और कई  विद्वान पुरुष की देेखरेख मे पूजा अर्चना  कार्य  चलने लगा  ।                                            कुछ दिन बाद पुनः  वही घटना  घटी  तो पूरा राज परिवार और प्रजाजन सभी दुखी   हो गये ।  तत्कालीन  राजा  नेे दुुुुखी  होकर  मंदिर केे पट बंद करवा दिये यह मंदिर कई  माह तक बंद रहा । प्रजाजन मे  इस घटना  को लेकर चर्चा   चलती रही  और   धिरे-धिरे यह शिव मंंदिर  एक लिंगेश्वर महादेव  मंदिर    केे नाम  सेे  प्रसिदध हुआ। कुुुछ       माह  बाद गुरुजनो  ने राजा  को  समझानेे की  बहुत कोशिश        की पर राजा नही माने और तब से यह मंदिर केवल  शिवरात्रि के दिन  राजघराने   के पूजा अर्चना  के लिए खोला जाने  लगा । बहुत समय बाद जब   स्थिति सामान्य  होती गई  तो   राजघराने   ने अपने पूजा अर्चना के बाद आम जनता को भी पूजा अर्चना की  अनुमति  दे दी  । आज के समय मे भी वही सदियों पुरानी प्रथा चली आ रही है। महा शिवरात्रि    के दिन  राज परिवार  के पूजा अर्चना के बाद  जनता के लिए  यह  शिव मंदिर खुला रहता है लाखो  श्रधालू  भगवान शिव के दर्शन करते है।                           दोस्तों  यह कहानी आपको कैसी लगी   दो  शब्द कमेंट बाक्स मे जरूर लिखिए।   धन्यवाद  लेखक -  भरत गोस्वामी               

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