THOUGHTS OF HEALTH स्वास्थ्य विचार -2

 स्वास्थ से बड़ा कोई धन नहीं है । यदि हम स्वस्थ हैं तो  हमसे बड़ा कोई सुखी नही है । कुछ ऐसी चीजें हैं या नियम है । जिन्हें हम थोडी सी सतर्कता पूर्वक पालन करें ,तो हम पुरी तरह से स्वस्थ रह सकते हैं । एक बात तो अवश्य कहनी पड़ेगी  कि इस  लाक डाउन ने नुकसान तो बहुत किया । लेकिन इसके चलते लोगों को  एक शिक्षा भी मिल गयी ।जीवन जीने का वास्तविक  स्वरूप की झलक  देखने को मिल गई ।  बन्द के दौरान लोगों को  कुछ उपलब्ध नहीं हो पाता था तो जो चीज अपने पास है उसी में एडजस्ट करने की आदत पड़ गयी ।समय से नहाना समय से खाना खाना ।समय से सोना कहने का मतलब यह है सब कुछ का सही नियम है ।उसका पालन होने लगा ।छोटी से छोटी बिमारी भी केवल रहन सहन  सही होने के कारण बीना   दवा के ठीक   हो गयी  ‌।  इसी का एक छोटा सा अनुभव इस सुविचार में  दर्शाया गया है ।                                                                            बन्द के दौरान  आयुष मंत्रालय या मीडिया द्वारा जो भी सावधानी बरतने को कही  गई  उसे लोगों ने  पालन किया । उन्होंने गुनगुना पानी का सेवन किया ।  काली मिर्च,अदरक,  लौंग और तुलसी की चाय पिया । रात को सोते समय हल्दी वाला गुुनगुना दुध लिया ।  एक मजबूरी कहिए या  और कोई परेेेशानी लोगों ने अपने जीवन शैली को सही तरीके से अपनाया  तो लोगो को बहुत फायदा हुआ ।    काली मिर्च ,अदरक , लौंग,हल्दी ,और तुलसी  ये रोग प्रतिरोधक  वस्तुुए है ।जो हमारे  इम्यूनिटी सिस्टम  को सही रखने में हमारी मदद करती है । गुुनगुुुना पानी भी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है ।जो हमारे शरीर में किसी तरह का कोई विकार  हो तो उसे  जड़ से खत्म कर देेेता है ।                          कई  चिकित्सक  इस  बात को मानते हैं कि  ठंडा पानी हमारे शरीर को नुक्सान करता है । जब हम भोजन करते हैं तो स्वाद के अनुसार  भोजन को पचाने के लिए शरीर सबसे पहलेे मुंह मे लार को भेजता है जो भोजन को मिक्स करके  अमास्य तक पहुंचता है ।अब अमास्य मेें जठराग्नीं नाम का एक द्रव्य   होता है जो कई द्रव्यों से मिलकर बनता है ।जिसमें पित्त  मुख्य होता है ।  मान लीजिए हम सौ ग्राम  खाना खाते हैं तो शरीर  डेढ़ सौ ग्राम पित्त बनाता है ।  जो जठराग्नि में मिल कर हमारे भोजन को पचाने में मदद करता है । उस वक्त जिस वक्त शरीर  यह  प्रक्रिया कर रहा होता है उस वक्त यदि हम ठंडा पानी पीते हैं तो शरीर की प्रक्रिया  बाधित होती है ।कारण उस समय भोजन की अवस्था गर्म होती है । भोजन सही तरीके से पच नहीं  पाता तो उससे कई विकार पैदा होते हैं । गैस, बदहजमी,अपच, खट्टी डकार और कई तरह कि परेशानी खड़ी  हो जाती है ।एक मुख्य परेशानी पैदा हो जाती है जो गैस से पैदा होती है ।जिसे हम वात कहते हैं ।यह हमारे रक्त कोशिकाओं के  द्वारा शरीर के जिस हिस्सेेे में जाती है वहां दर्द होने लगता है ।  एक और मुख्य  काम शरीर करता है ।                                                    जब हम भोजन करते हैं , तो यदि भोजन  रुचिकर रहा तो हम थोड़ा ज्यादा खा लेते हैं ‌। अब शरीर को मालूम है कि  हम सौ ग्राम भोजन लेते हे तो शरीर डेढ़ सौ  ग्राम  पित्त बनाता है ।  यदि हम भोजन ज्यादा कर लेते हैं तो जठराग्नि मेे मिश्रित  पित्त  की कमी हो जाती है जो खाने  को सही तरह से पचा नहीं  पाता और कई  परेेेशानी  खड़ा कर देता है । जैैेसे  अपच, बदहजमी,खटटी डकार हो सकती है । इसी तरह यदि भोजन रचिकर नहीं है तो हम कम खाकर उठ जाते हैं ।यह भी कभी कभी नुकसान दायक होता है । शरीर को मालूूम  कि हम सौ ग्राम खाना खाते हैं तो शरीर उसके हिसाब से पित्त बनाकर पित्ताशय मेें रखता है ।  यदि हम खाना कम खाते हैं तो पित्ताशय मे बचा पित्त सुख कर पथरी का रूप ले लेेेता है । और यही  पित्त जठराग्नि में मिक्स होने बाद सूख जाता है तो रक्त कोशिकाओं में मिलकर  शरीर के जिस हिस्से में जा कर रूक जाता है ।  उस हिस्से में अलग अलग रूपों में नुकसान करता है । हाथ के किसी हिस्से मेें रूक गया तो वहां गांठ होने का डर होता है । सिर के हिस्से में जाकर रूक गया तो ब्रेन टयूमर होने का डर रहता है ।    फेफड़ों में जा कर रूक गया  तो  टी.वी. होने का डर रहता है ।                        शरीर के प्रति थोड़ी  सी सावधानी हमारे जीवन में खुशियों का   अम्मबार  ला सकती है । तो  हमें कु छ बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए । इन छोटी छोटी  बातों को सधारण नहीं समझना चाहिए । कुछ भी हो हर चीज का कोई ना कोई नियम जरूर होता है ।उसका सही तरीके से पालन करना उचित है ।  सुबह शौच जाने से पहले गुनगुना पानी पीना चाहिए   । खाना समय से खाना चाहिए। खाना बनने के 45 मिनट के अंदर खा लेना चाहिए ।  45 मिनट के बाद खाने की 50% विटामिन नष्ट हो जाती है। खाना खाने के 1 घंटे पहले या 1 घंटे बाद पानी पीना उचित है ।    समय से सोने की कोशिश करना चाहिए।                            दोस्तों यह सुविचार आप सब को कैसा लगा दो शब्द कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें धन्यवाद लेखक-भरत गोस्वामी ।

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