RUDRAKSHA KA MAHATVA -2 रूद्राक्ष का महत्व A RELIGIOUS STORY


भगवान भोलेनाथ से जुड़ी यह प्रचलित कथा बहुत ही लोकप्रिय है । शास्त्रों और पुराणों का कथन है कि यह कथा मोक्ष दायनि है । इस कथा को कहने और सुनने मात्र से बहुत बड़ा से बड़ा संकट सहज ही दूर हो जाता है । साथ ही में पंच मुखी रुद्राक्ष पहनें से भी मनुष्य के जीवन में कभी कष्ट नहीं आता ।और भगवान भोलेनाथ की कृपा उस मनुष्य पर सदा बनी रहती है । हम इस परम पावन कथा को आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं ।                                                                             
 पुरातन काल में एक बहुत ही प्रतापी राजा थे । वह बहुत ही बड़े शिवभक्त थे । उनको एक पुत्र था जो उन्हीं के समान बलवान और बुद्धिमान था ।उस    राज्य के मंत्री को भी उसी के उम्र का एक पुत्र था दोनों मे बहुत ही प्रगाढ  दोस्ती थी । दोनों एक साथ विद्या   अध्ययन के लिए  जाते , एक साथ युद्ध अभ्यास करते करते किसोरा अवस्था में घुस गये । दोनों की आपसी सहमति देख कर लोग उनके दोस्ती की मिसाल देते । राजा और मंत्री दोनों के इस सम्बन्ध से बहुत खुश थे ।                                  एक दिन अनायास ही एक सदपुरूष   का उनके राज दरबार में आगमन हुआ । उनके तेजमय ललाट को देेख कर  राजा सहित सभी दरबारी  उनके अभिवादन के लिए खड़े हो गए । राजा ने यथा सम्भव  उनका  आदर सत्कार किया ।सेवकों के साथ साथ वे भी उन सदपुरूष के सेवा सुुश्रषा में लगे हुए थे । उनके आतिथ्य से प्रभावित होकर एक दिन  सदपुरूष ने उनसे कहा ।"राजन मैंने जैसा आपके बारे में सुना था उससे ज्यादा कुछ देेेेखने को मिला ।"  अब मुझे प्रस्थान करने की इजाजत दिजीए"  उनकी बातों को सुनकर कर राजा का चेहरा उदास सा हो गया ।बुझे मन से सेवकों के द्वारा उन्होंने अपने पुत्र को आशीर्वाद लेने के लिए बुलाया । जब उनका  पुत्र सदपुुुरूष के चरण स्पर्श करने लगा तो उसके गले में रूद्राक्ष देख  कर सदपुुुरूष को बहुत आश्चर्य हुआ । और उनकी दृष्टि  पास में  ही खडे दुसरे  किसोर पर पड़ी । उसके गले में भी एक जैसे ही     रूद्राक्ष देख कर  उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ । उन्होंने राजा से     अलग मिलने की इच्छा प्रकट की । और फिर राजा से बोले "  राजन  आपका पुत्र और साथ में खड़ा वह किसोर  पिछले जन्म में  बड़े घनिष्ठ मित्र थे । पिछले जन्म में  ये दोनों एक नृतिका (नाच गाना करनेवाली ) के यहां एक कुत्ता और एक बन्दर के रूप में रह रहे थे । वह नृतिका शिवभक्त थी ।इस लिए इन दोनों के  गले में रूद्राक्ष की माला डाल रखी थी ।                                    अचानक एक दिन नृतिका के घर में आग लग गई   उसने बहुत परेशानी सहकर इन दोनों की जान बचाने के लिए दोनों का बन्धन  खोल दिया और दोनों आजाद होते ही उस नृतिका  के यहां से भाग गये । और कुछ दिन बाद दोनो की मृत्यु  हो गयी ।गले में रूदाक्ष होने के कारण  यमदूतों  के आने से पहले ही शिवदूत उन्हें शिव लोक   लेेकर चलें गये   ।  अब  वही दोनो मित्र बन्दर आपके पुत्र के रूप में और कुत्ता मंत्री के पुत्र के रूप में जन्म लिए है । पर एक गंंभीर समस्या यह है की आपका पुत्र अल्पायु है ।सात  दिनों के बाद इसकी मृत्यु हो जायेगी । इस बात को सुन कर राजा बहुत उदास हो गये । तब सदपुुुुरूष ने  उन्हें एक सरल उपाय बताए ।  गले में रूद्राक्ष धारण करने के कारण इसके सभी कष्ट दूर हो गये है । अब आपको दस सहत्र बार शतरूूूद्री का पाठ करवाना है ।जितने बार पाठ करवा कर आप भोलेनाथ  का अभिषेक करवाएगे उतना ही आप का पुत्र दृघायु होगा । जैसा सदपुरूष ने बताया राजा ने वैसा ही किया ।                                                सातवें दिन   राजा का पुत्र बेहोश हो गया ।राजा  ने सोचा शायद हमारे पुजा अर्चना मे  कोई कमी रह गयी होगी, जिसके प्रभाव से हमारे पुत्र की आयु रक्षा न हो सकी । चारों तरफ हाहाकार सा मच गया । कुछ ही देर बाद राजा का पुत्र हंसते हुए उठ कर बैठ गया   ।  उसने जो बातें कहीं वहां उपस्थित सभी लोगों का आश्चर्य चकित  हो गये । उसने कहा "  जब यम के दूत मुझे लेकर जा रहे थे तो एक अद्भुत शक्तिशाली पुरूष आया जिसने सबको परास्त कर के  मुझे उनके चंगुल से मुक्त किया । और कहा कि इस रूद्राक्ष को श्रदधा पुर्वक धारण करने से तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो गये है अब तुम जाओ और अपना सुखी जीवन व्यतीत करो । अनंत समय तक सुख भोगने के बाद तुम शिव लोक को प्राप्त करोगे ।                                                        दोस्तों यह कहानी आप को कैसी लगी दो शब्द कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें धन्यवाद लेखक-भरत गोस्वामी

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