A JOURNEY OF PANCHVATI DHAM KI यात्रा पंचवटी धाम की journey guide

 दुनिया के मालिक जो दुनिया को शरण लेते हैं ।उनको शरण देने वाली स्धली पंचवटी अपने आप में एक अद्भुत सौंदर्य से सजी संवरी है । रामायण काल की एक ऐसी पवित्र जगह जिसके दर्शन मात्र से मनुष्य अपने आप को धन्य समझने लगता है । प्रकृति का यह अद्भुत नजारा  महाराष्ट्र प्रदेश के नासिक जिले में आज भी ज्यो का त्यो स्थित है । हम इसी प्रसंग को आप के समक्ष रखने जा रहे हैं ।                                               भगवान राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण  और अपनी भार्या सीता के साथ जब पंचवटी   पहुचते है तो  वहां का   मोहक  वातावरण  और प्राकृतिक सौंदर्य को देेख कर    उस जगह की तारीफ करने लगते हैं । और  वहां पर एक पर्णकुटी बनाकर  रहने लगते हैं । पास में गोदावरी नदी की अविरल धारा कल कल करती बह रही है ।  आज भी वह जगह  राम कुण्ड ,सीता कुण्ड,और लक्ष्मण कुण्ड  के  नाम से प्रसिद्ध है ।  भगवान राम के  वहां आ जाने से हिंसक जानवर अपने आप वहां से दूर चले गए ।                                    समय बीतता गया  एक दिन  रावण की बहन  सूर्पनखा  वहां आती है । और भगवान राम और लक्ष्मण को देख कर मोहित हो जाती है । फिर अपना मोहीनी  रुप धारण कर के उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखती है । पर दोनों भाई उसके विवाह  प्रस्ताव को ठुकरा देते हैं । उनके साथ सीता जी को देख कर वह   सीता जी को कटूवचन  बोलने लगती है । तब  लक्ष्मण जी को  क्रोध आता है । और  वे  सुर्पनखा की नाक काट देते हैं । रोती विलखती वह अपने भाई  खर-दूषण के पास  जाती है । और अपनी सारी  कहानी उनको सुनाती है । तब दोनों असूूर  अपनी  सेना के साथ जाकर राम लक्ष्मण को युद्ध के लिए ललकारते हैैं। बड़ा भीषण युद्ध होता है । और दोनों असूर भगवान राम के हाथों मारे जाते हैं । तब सुुर्पनखा  लंका के राजा रावण के पास जाती है ।  रावण उसकी सारी व्यथा  को सुनता है और फिर भगवान राम  से बदला लेने के बारे  में  सोचता है।                                         बदला लेने के उद्देश्य से वह भेष बदल कर पंचवटी जाता है । और किसी तरह से सीता जी को  अपरहण करने में सफल हो जाता है । आज भी वह  जगह ज्यों     त्यों वहां  स्थित है ।वह लक्ष्मण रेखा जो लक्ष्मण जी ने  खींचा था ।वह रेखा आज एक  भी एक नाले के रुप में मौजूद हैं । जिस गुफा से रावण ने सीता जी को हरण किया था । वह गुफा भी  आज भी वैसे ही दिख रही है । जैसे उस वक्त होगी । उस वन प्रदेश में   कन्द , मूल, फल  का  अनुुुपम भंडार था ।वह पेड़ जिसके नीचे लक्ष्मण जी बैैैठा करते थे ।आज भी फल फुल रहा है ।  सबसे खास वन  राम टेकडी के नाम से जाना जाता है ।उस वन की खासियत यह है की कोई भी प्रजाति का पेड़ हो हमेशा एक ही दिशा में झुका होता है । उनको यह  आभास होता  है, कि भगवान राम आज मेरा टेक लेकर  विश्राम करेंगे ।  भगवान राम के प्रति पकृति का यह अपार  प्रेम आज भी वहां देेेेखने को मिलता है ।                                         गोदावरी नदी के किनारे पर स्थित यह  तपोवन  भगवान राम के निवास करने के कारण एक  पवित्र धाम के रूप में प्रसिद्ध है । पहले लोग पींड दान के लिए गया जाते थे । जबसे भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ का पिंड दान गोदावरी नदी के किनारे किया । तब सेेेे स्थानीय लोग गया न जाकर इधर ही पींंड दान करते हैं ।  यहां पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है ।   हर दिन देश विदेश से हजारों लोग इस क्षेत्र का दर्शन करने आते हैं ।                      दोस्तों यह यात्रा वृत्तांत  आपको कैसा लगा दो  शब्द कमेंट बॉक्स मेें जरूर  लिखें धन्यवाद लेखक-भरत गोस्वामी       

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