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Showing posts from April, 2020

YOGIRAJ KRISHNA --2 योगीराज कृष्ण --2 एक सुविचार

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योगीराज कृष्ण  प्रसंग कुछ अधिक हो रहा था , इस लिए  योगीराज कृष्ण--2  की रचना करना पड़ा । वैसे तो प्रभु भगवान श्रीकृष्ण के अवतार लेने के कई कारण थे ।पर ये दो कारणों का विशेष उल्लेख लोक कथाओं में चर्चित है । एक कारण तो आप सभी ने योगीराज कृष्ण में पढ़ लिया अब दुसरा महत्त्वपूर्ण कारण हम लोग इस रचना में पढ़ेंगे ।इस के लिए हमें आपको रामायण काल की   एक घटना से अवगत कराना होगा ।                                                       मां सीता का स्वयंवर चल रहा था । कई जगह से  राजा और राजकुमार  वहां आए हुए थे ।    अपने अपने बल का प्रदर्शन  सब दिखा रहे थे ,पर शिव जी का धनुष उठाना तो दूर कोई उसे हिला ना सका । यह सब देखकर राजा जनक जी की चिंता बढ़ती चली जा रही थी ।  तब उसी सभा में   महर्षि विश्वामित्र अपने दोनों शिष्य राजकुुुुमार राम और राजकुमार लक्ष्मण  के साथ विराजमान थे । उन्हें राजा जनक ज...

YOGIRAJ KRISHNA योगीराज कृष्ण - एक सुविचार

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भगवान राम बारह  कला के अवतार थे । तो भगवान कृष्ण  सोलह कला के अवतार थे ।यानि पूर्ण  अवतार जिसे हम आज की भाषा में शत् प्रतिशत पुर्ण अवतार कह सकते हैं ।जिस तरह  हम आज शत् प्रतिशत को पुर्ण कहते हैं वैसे ही पुर्व काल में इसी पुर्णता को लोग  कहा करते थे कि यह बात सोलह आने सच है । भगवान श्री हरि विष्णु के अवतार भगवान श्री कृष्ण  का अवतार भी भगवान राम के अवतार  कि तरह नारद जी की वजह से ही हुआ था । इस सुविचार में उसी कथा का वर्णन है ।                                                                                    पुर्व काल मे  कामदेव के कारण ही महर्षि नारद जी का अपमान हुआ था । और उसी कारण उन्होंने अपने  स्वामी भगवान श्री हरि विष्णु को श्रापित किया था ।उनके श्राप को पूरा करने के लिए भगवान श्री हरि विष्णु को राम के रुप मेंं अवतार ...

RAM RAJYA राम राज्य -एक सुविचार

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राम एक ऐसा नाम हैं ,जो जन जन में प्रिय है ।पुरी दुनिया के दिलों पर राज करता  एक ऐसा व्यक्तित्व ,एक ऐसा आदर्श चरित्र  जो राम ने प्रस्तुत किया है । जिसे कोई भुल नहीं सकता है । भगवान विष्णु के इस विशेष अवतार ने एक ऐसा आदर्श चरित्र प्रस्तुत किया है कि जब तक सुर्य और चांद रहेंगे ।तब तक इनके नाम की कान्ति कभी धुमिल नहीं होगी । तत्कालीन महर्षि बाल्मीकि से लेकर  बाबा तुलसीदास और कई लोगों ने अपने अपने हिसाब से इनके चरित्र को अलंकृत किया है ।                                                                               भगवान विष्णु के वैसे तो बहुत अवतार हुए हैं ।  शास्त्रों के अध्ययन से पता चलता है कि कुछ भी घटनाएं  यदि पृथ्वी पर  घटित होती हैं ,वो अकारण नहीं होती । उसका कोई न कोई कारण अवश्य होता है ।इस अवतार का अवतरण भी कई कारणों से हुआ है ।      ...

SWARUP MAHATMAYA. स्वरुप महात्म्य एक सुविचार

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जगत जननी, मां जगदम्बा,  आदि भवानी, आदि माता, आदिशक्ति,कई रुपों में पूजी जाती है । मां के हर परिस्थिति में एक नया रुप  देखने को मिलता है । मां का हर रुप मन को मुग्ध करने वाला होता है  हम आज  मां के मुख्य नौ स्वरुपों की महिमा के बारे में बात करेंगे ।                                     मां का पहला स्वरुप  मां शैलपुत्री हैं ,जो भगवान शिव जी को हमेशा के लिए अति प्रिय रही हैैं । इस स्वरुप में  मां हिमालय की पुत्री के रूप मे जन्म लेेेकर  भगवान शिव की अर्धांगिनी बनी थी । जिनकी प्रिय सवारी बैल था ।                                          मां का दूसरा स्वरुप ब्रह्मचारिणी का है ।  कहा जाता है कि नारद जी के कहने से मां  ने भगवान शिव को पाने के लिए घोर तपस्या की थी ।उनकी तपस्या इतनी कठोर थी की  सारा ब्रह्मांड डोलने लगा । तब ब्रह्मा जी ने प्रगट होकर मां...