A JOURNEY OF SANI SIGNAPUR यात्रा शनि शिंगणापुर की

शिर्डी से कुछ दूरी पर शिंगणापुर नामक एक गांव है । वहां की कहानी  पूरे विश्व में प्रसिद्ध है ।आइए हम आज आपको उस प्रसिद्ध गांव की यात्रा करवाते हैं ।यह एक ऐसी यात्रा है जो आपके जीवन काल में एक यादगार वन कर रह जायेगी ।जी,हां यात्रा शनि शिंगणापुर की --------।                                            महाराष्ट्र प्रांत के नासिक जिले के पुरब दिशा में   साईं बाबा का परम धाम शिर्डी  है ।उससे  ‌‌‌‌‌कुछ ही दूरी पर भगवान शनिदेव का परम प्रिय धाम   शिंगणापुर है । शिर्डी से शिंगणापुर जाने के लिए कई साधन है ।आटो रिक्शा , जीप,कार , मिनी बस,  जिसके द्वारा यात्रा करके हम सब  शिंगणापुर जा सकते हैं । गांव का शुद्ध वातावरण , जिधर नजर गई उधर हरियाली ही हरियाली,मन को मुग्ध कर देने वाली शुद्ध वायु (हवा) , ऐसा प्रतीत होता है कि पूरे वातावरण में एक अजीब सी शांति व्याप्त है ।                    पेड़ों के बीच गुजरता हुआ रास्ता इतना मनोहारी लगता है  कि मनुष्य के मानस पटल से उतरने का नाम ही नहीं लेता ।यु तो भारत में महाराष्ट्र गन्ना उत्पादन में नम्बर वन माना जाता है ।यह  यहां प्रत्यक्ष देखने को मिल जाता है । जिधर देखो उधर गन्ना की ही फसल दिखाई देती है ।ऐसा अनुभव होता है कि पूरी दुनिया की हरियाली यहीं सिमट कर रह गई है ।इतना सुंदर वातावरण जो दिल की गहराइयों में उतर जाता है ।                                                            कुछ देर बाद हमारी मिनी बस एक विश्राम स्पॉट पर रूकती है । जहां सब लोग  बैलों द्वारा निकाला हुआ  सत प्रतिशत शुद्ध  गन्ने का रस का आनंद लेते हैं । वहां से चलने के बाद  शिंगणापुर गांव की सीमा  आरंभ होती है । वहां का गांव देखने के बाद एक बात याद आ जाती है । पूरी दुनिया में मात्र यह ही एक गांव है । जो अपने आप में एक अनूठा स्थान है जहां की एक बात बहुत प्रसिद्ध है कि चाहे रोड पति (कंगाल) हो या करोड़पति ,चाहे आम आदमी हो या धनवान,चाहे भाजी विक्रेता हो या सोने चांदी हीरे जवाहरात की दुकान किसी के घर या दुकान में दरवाजा नहीं होता । यह आज प्रत्यक्ष देखने को मिला ।                  पहले हमें भी विश्वास नहीं होता था कि ऐसा  कैसेेे हो सकता  है । पर प्रत्यक्ष देखने  पर मालूम पड़ा कि जितना सुना था उससे कहीं ज्यादा  है ।यह  दुनिया का एक अद्भुत गांव है इसमें  कोई शक नहीं । भगवान शनिदेव का यहां इतना प्रभाव है कि यहां किसी के चेहरे पर चोरी आदि का विल्कुल डर नहीं ।                      यहां आने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि भगवान भोलेनाथ द्वारा कृपा प्राप्त भगवान शनिदेव का क्या महत्व है  । न्याय के देवता भगवान शनिदेव सभी देवताओं के प्रिय देव है ।   खास  करके हनुमानजी के साथ इन का गहरा संबंध है ।जब लंका का राजा रावण सभी देवताओं को बन्दी बना लिया था ।उस वक्त हनुमानजी ने सभी देवताओं को रावण के चंगुल से मुक्त कराया था । उसी समय से भगवान शनिदेव ने हनुमान जी को यह वचन दिया था कि जो भी आपका प्रिय भक्त होगा वह मेरा भी प्रिय  होगा ।और उसके ऊपर मेरी कृपा दृष्टि सदा बनी रहेगी ।  मेरे दंड (शस्त्र )से वह कभी प्रभावित नहीं होगा ।                           भगवान सूर्य के प्रथम पुत्र भगवान शनि देव ,भगवान यमराज के बड़े भ्राता है ।  वैसे तो भगवान शनि देव उग्र देवता के रूप में प्रसिद्ध है ।पर ऐसा नहीं है । मैं यह तो नहीं कह सकता कि जन श्रुति बिल्कुल गलत है पर इतना जरूर कह सकता हूं कि भगवान शनि देव बहुत ही सोम्य और शांतिप्रिय देवता हैं । इनका मनोहारी रूप लोगों के दिलों में उतर जाता है ।इनका दंड उन्ही को सजा देता है ।जो सजा के अधिकारी हैं ।                अब  हम मंदिर के प्रांगण में प्रवेश कर चुके हैं । भगवान शनिदेव का मंदिर ठीक सामने है । पर यहां की एक प्रथा  है । जिसे हर लोगों को मानना पड़ता है । वहां आपको सर्व प्रथम  स्नान करना होगा और फिर उन्हीं के दिए हुए वस्त्र पहनकर , उन्हें के द्वारा दी गई पूजा सामग्री को लेकर मंदिर में प्रवेश करना होगा । आप अपने द्वारा लाई हुई कोई इच्छित  वस्तु नहीं चढ़ा सकते । आपको सारी व्यवस्था प्रबंधन समिति द्वारा दी गई , सुविधा के अनुसार ही करना है ।आप अपने मन या इच्छा से वहां कुछ भी नहीं कर सकते ।                    हम कतारबद्ध होकर भगवान शनिदेव की दर्शन की इच्छा लिए अनुशासित ढंग से आगे बढ़ रहे थे ।मन की व्याकुलता बढ़ती जा रही थी । कब भगवान के दर्शन होंगे , वह समय जल्दी क्यों नहीं आ जाता ।  और थोड़ी देर बाद अपने प्रिय  भगवान शनिदेव को सामने देख कर मन प्रसन्नता से प्रफुल्लित हो गया । भगवान शनिदेव शीला (पत्थर) के रूप में सामने है और सब उन पर सरसों का तेल से तेलाभिषेक  कर रहे हैं ।और अपने प्यार का इजहार कर रहे हैं ।                                                  दोस्तों यह यात्रा वृत्तान्त आपको कैसा लगा कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें खुद पढ़िए और अपने दोस्तों को पढ़ाइए । बहुत बहुत धन्यवाद हर-हर महादेव ।लेखक-भरत गोस्वामी 


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