SAD VICHAR सद् विचार A GOOD THOUGHTS

                                                                               

मनुष्य अपने जीवन मे भले ही अमीर  रहे या गरीब वह हर छोटे  से छोटे काम मे भी आनन्द को पाने की चाहत  रखता है   मनुष्य के  जीवन में  आनन्द  का बहुत  महत्व  है ,भुखे  को  खाने में  आनन्द है, नींद  वाले  व्यक्ति को  सोने  मेआनन्द  है ,घुमने वालों को घूमने फिरने  मे  आनन्द  है  ,किसी को काम करने मे भी  आनन्द  मिलता है  ।क्योकि  उससे धनानन्द कि प्राप्ति होती है  । पर यह  सब  क्षणिक आनन्द है स्थाई  आनन्द की बात  ही कुछ और है आज हम  आनन्द के  दोनों  स्वरूपो  कि चर्चा  करेंगे  । 

 मै यह नही कहता  कि मनुष्य  बाध्य  है। अध्यात्म प्रेम  करने को, लेकिन   यह  जरूर कहुंगा  कि यदि मनुष्य   अध्यात्म से प्रेम  करेेंगे तो, मनुुुुुष्य की  दो चीजे हमेशा स्वस्थ  रहेेेगी , तन और मन ।  जब  मनुष्य  की ये दोनों  चीजे  स्वस्थ रहेगी तो मनुष्य को  जीवन  मे  खुुुश रहने के लिए  कोई  और चीजो की   जरूरत नही पडेगी। अध्यात्म से  आनन्द  प्राप्त  होता है जो  दो  तरीके  के होतेे है,  एक  अस्थाई आनन्द यानी  क्षणिक आनन्द  और  स्थाई  आनन्द । मन पसंंद  भोजन  ,मन पसंद  नींद, मन पसंद  मित्र  सहवास  ये सब अस्थाईआनन्द के स्वरूप है मतलब  ये सब  क्षणिक  आनन्द के  स्वरूप  है।                               स्थाई  आनन्द यानी  वह  आनन्द जो हमेशा मनुष्य के  तन  और मन  को प्रफुल्लित  रखता है ।भजन  श्रवण (सुनना) , अध्यात्म  वाचन( पढना ), अध्यात्म  दर्शन (देखना)  मनन (जप) , और  चिंतन  (सोचना ) ये  पांंच स्थाई   आनन्द के मुख्य  श्रोत है।                                                             भजन श्रवण,  मनुुुुुष्य  जब  कोई  भजन या किसी के  सद् चरित्र के   बारेे मे सुनता  है। तो वह  आनन्द  विभोर हो  उठता है। मनुष्य  अपना  प्रिय गीत  या प्रिय भजन  सुन लेता  है ,तो आत्मा तो  बहुत दूर की  बात  है  उसकेे  अन्तरात्मा को  भी  छू देेता है और वह खुशी सेे इतना गद गद हो जाता है कि पुरे दिन वह   उसी  गीत  को  गुनगुनाता  रहता है।  फिर वह चाहे  घर पर हो  या कही  भी  हो  उसे   फर्क  नही पड़ता।   वह वह  प्रिय गीत या प्रिय धुन  या प्रिय  आवाज  या प्रिय  भाव मनुष्य के  अन्तरा़त्मा  पर एक  ऐसी छाप  छोड़  देती है। जो कभी  मिटती नही है।    जब वह   प्रिय   गीत  कितना  भी  पुराना  हो जाय वह उस  मनुष्य  को नया  ही  महसूस  होता  है।  यहि आनन्द    सच्चा  स्वरूप है। जो स्थाई  स्वरूप केे अन्तर्गत  आता  है।                                 अध्यात्म  वाचन, उन  अच्छे चरित्रो  का अध्ययन है जिनका अनशरण  करकेे  मनुष्य  अपने  जीवन को संवार सकता है। अच्छे चरित्रो  का ,अच्छे  बिषयो का अध्ययन      मनुष्य  के    दिलो  दिमाग  मे हमेशा  केे  लिए  बैैैठ जाता है  । फिर  वह  स्थिति मनुष्य  जीवन  मे पल भर के लिए  भी क्यो ना आ जाये  वह  कभी  विचलित  नही होता ? मान लिजीए कोई  व्यक्ति  किसी  परेशानी  मे  उलझ गया तो  उसके  दिमाग मे वो वाचन  किया हुआ  अध्ययात्म चरित्र राम, कृष्ण, प्रभु  ईशु ,भगवान गौतम बुद्ध गुुुुरु  नानक  देव ,स्वामी  विवेकान्द ,  शिवाजी राजे  के  जीवन आदर्श  शिक्षा के रूप मे उसके सामनेे आ  जायेेगा,और  वह अपने  आप को  दुुुुखी नही  होने देगा।   परिस्थितियो से  लड़ने  की क्षमता उसके पास  आ  जायेगी। उसेे उसका अध्यात्म  चरित्र बतायेेेगा  कि अच्छी  या बुरी   परिस्थिति तो  व्यक्ति के जीवन मे  आती  जाती  रहती  हैं  यही  धारणा उसको कभी कमजोर होनेे देगा। उसका  मन  हमेशा  शान्त बना  रहेगा।                                                           इसका एक  अत्यंत  प्रिय  उदाहरण  आज  भी  हमारेे सामने  है।  हजारो  साल पहले  लिखी  एक  पुुरातन पुस्तक  रामायण आज  दिन  भर  मे  हजारो  बार  पढी  जाती है  ।नाही  उसके  प्रेमियो मे  कभी कोई कमी  नजर आती है।ना उनके   जिज्ञासा मेे  कभी कोई  कमी  नजर  आती है  उस के  रूचिकर  चरित्र से लाखो लोगो के  प्रेरणा   लेकर अपना जीवन आनन्दमय  बनातेे है  ।                                                          अध्यात्म  दर्शन,  अच्छी भाव युक्त  कला कृृृति अच्छे  चरित्र को  देखना उनके  आदर्श  को अपने जीवन  मे   चरित्रार्रथ करना ।  यदि  कोई  मनुष्य  किसी  महापुरूष के जीवन  से  प्रेरणा लेकर अपना जीवन संवारता  हैै तो  उससे  भी वह  स्थाई आनन्द का  अनुभव  पा सकता है।                                   मनन यानी  जप  कई लोग  भगवान के नाम  और    मंत्र का जाप करके  ही  आनन्द  की  प्राप्ति  करते हैं ऐसा करने  से उनका  आत्म बल  मजबूत  होता  है  ।उन्हे  अपने  इस्ट  देवता  के  सहवास  का  अनुभव होता  है  । और  एक  ऐसे आनन्द  का अनुभव  होता है।  जो  स्थाई  होता  है  ।क्षणिक  नही  होता  है।  
चिंतन,  यानी  सोचना या सोच  विचार  कई  मनुष्य  भगवान का  चिंतन करके  अपने  जीवन  को  आनन्दमय  बना लेते  है   किसी  सद् पुरूष  के बारे  मे  चिंतन करना  या सोच विचार करना  भी  स्थाई  आनन्द का एक  स्वरूप  है इसके  द्वारा  प्राप्त आनन्द  भी  क्षणिक  नही  होता।                                   आनन्द  के  बारे  मे  लोकाचार  मे एक   चौपाई  प्रसिद्ध है  ।                                                                        जिनके  ह्रदय  मे राम  नाम  बन्द  है। उनके  जीवन मे हर घड़ी  आनन्द  है।   
दोस्तों यह सद् विचार  आपको  कैसा लगा  दो शब्द  कमेंट  बाँक्स मे जरूर  लिखे  ।लेखक -भरत गोस्वामी मुम्बई https://koashal.blogspot.com 
                                            

Comments

  1. बहुत ही खूबसूरत जी
    मन को मोहने वाले विचार

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