GURU MAHIMA गुरु महिमा A RILIGIOUS STORY
यह एक ऐसा गरिमामय पद है। जिसके आगे भगवान को भी झुकना पडा ।ऋषि सन्दीपनी के यहां भगवान श्री कृष्ण को, और गुरू वशिष्ठ के यहां भगवान श्री राम को झुकना पडा । माँ ,पिता और गुरू से बढ कर दुनिया में कोई श्रेष्ठ नही है ऐसा भगवान श्री कृष्ण ने कहा है । ये तीन पद विधाता ने स्वयं बना रखे है ,जिन्हें संसार पुजता आया है। यह प्रसंग कथा महाभारत काल से लिया गया है जिसका उल्लेख हम करने जा रहे है। गुरु द्रोणाचार्य का आश्रम जहां कौरवो और पांडवो दोनों पक्ष के राजकुमारो को शिक्षा ग्रहण के लिए भेजा गया है। यहां राजकुमार युधिष्ठिर सबसे बड़े भाई है। जिनकी इज्जत कौरव पक्ष के ज्येष्ठ राजकुुुुमार दुर्योधन भी किया करते है। मां ,पिता और महलो के सब सुख संसाधन को छोडकर वन्य प्रदेश मे एक सधारण मनुष्य की तरह रहना कोई सधारण बात नही । पर यह नियम सदियों से चला आ रहा है ।सभी शिष्यो को समान्य रूप से शस्त्र विद्या ,अध्यात्म ज्ञान, संस्कृति परिचय और व्यवहारिक ज्ञान सब कुुछ सिखाया जाता है ।उसमे कुछ शिष्य शान्त स्वभाव के