JAI BABA BHOLENATH--2 जय बाबा भोलेनाथ--2 A RELIGIOUS STORY

बाबा भोलेनाथ की लीलाओं का वर्णन का कोई अन्त नहीं है । भगवान भोलेनाथ महिमा और गुणों से भरपूर हैं ।  जय बाबा भोलेनाथ प्रसंग के  कुछ तथ्य शेषांश रहने के कारण इस प्रसंग जय बाबा भोलेनाथ--2  की रचना की  गई ।                     
 इच्छा के अनुसार मनवांछित वरदान पाकर   उन्मत्त हाथी की तरह तारकासुुुुर   सभी देवताओं को कष्ट देने लगा और उनके साथ युद्ध करके सबको हरा कर बन्दी गृृृृह मेें डाल दिया ।                                                   बचे हुए शेष देवता जो  भाग  कर अपनी जान बचाने में सफल  हो गए थे । वे किसी तरह बह्मा जी के यहां पहुंचे । संयोग से  वहां भगवान विष्णु भी मौजूद थे । उन्होंने देवताओं की व्यथा सुनी और यह राय दिया कि राक्षस प्रवृति  से  प्रशंसा  के प्रेमी होते हैं । उन्हें बल से नहीं जीता जा सकता है । आप सब नट का भेष बदलकर उस को  किसी तरह से खुश करने की कोशिश  करना और खुश हो जाने पर ईनाम में देवताओं की रिहाई    मांग लेना  । देवताओं ने वैसा ही किया जैसा विष्णुजी ने कहा था  ।  मद से चूर  तारकासुर  ने कहा "हम आपसे बहुत प्रसन्न है  आप लोग जो चाहे मांंग सकते हैं ।तब देवताओं  ने बंदी गृह में बंद सभी देवताओं की रिहाई की मांग की । ये तुच्छ  देवता मेेेरा क्या बिगाड़ लेंगे ? यह सोच कर उसने सभी देवताओं को  रिहा कर दिया ।   सभी देवता मिल कर पुनः  ब्रह्मा जी  के पास पहुंचे ।                          वहां पहुंच कर उन्होंने ब्रह्मा जी की स्तुति की और अपने कल्याण का कोई  मार्ग प्रशस्त करने को कहा ।  तब ख़ुश हो कर ब्रह्मा जी ने कहा " एक मार्ग है पर वह बहुत कठिन है । किसी भी तरह से भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न कर के उन्हें  माता  गिरजा से  विवाह करने के लिए  प्रेरित करना पड़ेगा । उनके द्वारा जो पुत्र-रत्न की प्राप्ति होगी । वह  बालक भी भगवान भोलेनाथ की तरह बलशाली होगा ।    यदि ऐसा हो जाए तो आप लोगों का कल्याण निश्चित है ।   पर ऐसा करना सरल नहीं है । भगवान भोलेनाथ हृदय से योगीराज है । उनके अन्दर प्रेम प्रसंग  जगाना बहुत ही कठिन कार्य है इसके लिए आप लोगों को मेरे द्वारा  जन्म लिए कामदेव को खुश करना  होगा । तब देवताओं के राजा इंद्र ने  कामदेव को प्रसन्न करने के लिए   अनेकों अनेक तरीके से  कामदेव की प्रशंसा की और उन्हें इस कार्य को करने के लिए राजी कर लिया ।                                                                                   अपनी बसंंत  सेना लेेेकर  कामदेव भगवान भोलेनाथ पर अपनी शक्ति अजमाने के लिए  चल पड़े । वहां पहुंच कर उसने अपनी सारी युक्ति लगा डालीं पर भगवान भोलेनाथ की योग साधना  में कोई फर्क नहीं पड़ा । निराश होकर कामदेव अपनी सेना के साथ वापस लौट आए ।  यह  समाचार सुनकर देवता गण बहुत दुखी हुए । उन्होंने पुनः एक बार कामदेव के समीप जाकर  अपनी सारी व्यथा सुनाई   । और ब्रह्मा जी के द्वारा कहे गए वाक्यों  को दुहराया । उन्होंने कहा कि आप ही एक मात्र ऐसे देवता हैं जो सब देवताओं का कल्याण कर सकते हैं ।तब कामदेव ने कहा   " आप लोगों के  कल्याण केेेे लिए मैं पुनः एक बार  प्रयास करता हूं ।                             इस बार उसने दुगनी शक्ति से भोलेनाथ के सामने ही अपनी पत्नी रति के साथ  प्रेम प्रसंग  शुरू किया उस पर भी जब भगवान भोलेनाथ की योग साधना नहीं टूटी ।तो उसने पेड़ की आड़ लेकर अपना आखीरी अस्त्र धनुष बाण  भगवान भोलेनाथ के ह्रदय पट पर चला दिया ।  संयोग से वहां माता गिरजा अपनी सहेलियों के साथ भगवान भोलेनाथ के दर्शन, पूजन के लिए आई हुई थी । जब भगवान भोलेनाथ की योग साधना भंग हो गई । तो उन्होंने देखा कि एक परम सुंदरी हमारे समक्ष बैठी हुई है । तो  वे उस परम सुंदरी पर मोहित हो गए और उनकी सौंदर्य की प्रशंसा करने लगे ।तब माता गिरजा  शरमाकर पीछे हट गई । तब भगवान भोलेनाथ को अपने अस्तित्व का बोध हुआ,तो वे क्रोधित होकर इधर-उधर देखने लगे ।जब पेड़ की आड़ में छिपा कामदेव उन्हें दिखाई पड़ा तो उनके त्रिनेत्र ने  कामदेव को जला भस्म कर दिया  ।यह  दृश्य देखकर माता गिरजा बेसुध हो कर गीर पड़ी । किसी तरह उनकी सहेलियों , उनको घर वापस ले गई । यह समाचार सुन कर देवताओं में हाहाकार मच गया । तब वे पुनः ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और सारा समाचार कह सुनाया ।                                तब ब्रह्मा जी ने  नारदजी को भेज कर माता गिरजा को समझाने-बुझाने का प्रयास किया  ।तब माता गिरजा ने घोर तपस्या करके भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया और विवाह के बंधन में बंध गए । उनसे कार्तिकेय  नाम के पुत्र पैदा हुए,  जो भगवान भोलेनाथ  जैसे ही बलशाली  होकर तारकासुर से युद्ध किया । युद्ध में तारकासुर मारा गया । देवताओं में खुशी की लहर दौड़ गई । और वे निश्चित होकर अपना अपना  कार्य भार सम्भाल लिया ।                                                  दोस्तों यह कहानी आप को कैसी लगी । कमेंट बॉक्स में दो शब्द जरूर लिखें धन्यवाद लेखक-भरत गोस्वामी ।

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