EBADAT A-- ELAHI इबादत ए--इलाही RILIGIOUS STORY

अल्लाह ईश्वर तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान  ये पंक्तियां
किसने लिखी यह तो नहीं मालूम पर इतना जरूर मालूम है कि ईश्वर एक है । हमारे मानने के पुकारने के तरीके भिन्न भिन्न हो सकते हैं । हमारे विचार भिन्न-भिन्न हो सकते हैं । हमारे बुजुर्ग हमसे ज्यादा होशियार थे । उन्होंने जो कोई भी कार्य किया  वो सोच समझ के किया । यह दांस्ता एक ऐसे शख्स का है  जो  पांच वक्त के नमाज़ी  थे ।और अपने अल्लाह से बेइंतहा प्यार करते थे ।                       कमाल अहमद नाम के एक शख्स अपने बाल बच्चों के साथ खुुशी खुशी रह रहे थे । काफी मेहनत कश इंसान थे ।उनका परिवार बहुत छोटा था उनकी बीबी और दो बच्चों के अलावा उनके परिवार मेें कोई नहीं था । उनकी बीबी सलमा  बेेेगम भी एक बहुत ही नेक और धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी ।                  कमाल अहमद भी काफी धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान थे और पांच वक्त के  नमाज़ी थे । और अल्लाह से बेइंतहा प्यार करते थे ।उनकी इबादत के लिए हमेशा तत्पर रहा करते थे ।  समाज में उनको रुतबा हासिल था । धन दौलत तो कम थी पर लोग बाग उनकी  बहुत इज्जत करते थे । शोहरत के मामले में वे किसी शख्स से कम न थे । हमेशा मजबूर इंसान की मदद के लिए तैयार रहते थे । नेेेकी ओर ईमानदारी की जिंदगी जीना उन्हें काफी पसंद था । अपने मेहनत से अपने परिवार  कि हर जरूरतो को पूरा किया करते थे । कोई भी त्योहार आता तो सादे ढंग से ही मना पाते  लेकिन बीबी बच्चों को हमेशा खुश रखने की कोशिश करते थे ।                                                           ऐसा करते कराते बहुत दिन बीत गए ।उनकी जिंदगी में एक नया मोड़ आया । वो कितना भी मेहनत करते  पर बरकत नहीं हो पाती थी । घर की जरूरतो को बड़ी ही कशमकश के बाद पुरा कर पाते थे ।उनके बाजू में उनके एक पड़ोसी अब्दुल  गफ्फार नाम के एक शख्स रहा करते थे ।वे बहुत ही धनी व्यक्ति थे ।उनके यहां शानो-शौकत और बहुत बड़ा रूतबा था ।उनके यहां दर रोज बहुत ही लाज़मी खाना बना करता  था ।उनके लाज़मी खाने की खुशबू कमाल अहमद के घर तक आती थी ।खुशबू आने पर  बच्चो के जी मचल उठते थे ।और वे अपनी अम्मी  सलमा बेगम से ऐसा ही खाना चाहिए  जैैैसी खुशबू आ रही है ।बेगम सलमा तड़़प  उठती बच्चों की जीद कैसे पूरा करे ।                                                                 कुछ दिनों बाद  उनका एक कोई त्योहार आया था बेगम सलमा अपने बच्चों के साथ अब्दुल गफ्फार के यहां गई हुई थी । बच्चे उस दिन बहुत खुश थे उन्होंने उस दिन लाजबाव खाने का स्वाद चखा । कुछ समय बाद अब्दुल गफ्फार साहेब की बेेेगम ने सलमा बेगम से पूछा "आपके शौहर क्या करते हैं ? सब कुछ ठीक ठाक तो चलता है ।  " इस पर सलमा बेगम ने कहा " मेरे शौहर  मेहनती तो बहुत  है पर जितनी मेेहनत करते हैं उतनी बरकत नहीं हो पाती किसी तरह से गुजर बसर हो जाता है ।"  गफ्फार साहेब की बेगम बोली " हमारे तो दिन  खुुुदा के रहमो-करम से बहुत अच्छा चल रहा है । हमारी शान शौकत ठाट बाट आप देख ही रही है सब अल्लाह का  करम है । आप क्यो नही आपके शौहर साहेब को हमारे शौहर  के साथ काम करने को कहती , कहें तो मैैं अपने शौहर से आपके शौहर के बारे में बात करूं । " वहां से आने के बाद सलमा बेगम फुरसत में  अपने शौहर से सारी बातें बताती है । तो उनके शौहर साहेब कहते हैं ना बाबा ना  तौबा तौबा किस शख्स का नाम ले लिया आपने वह शख्स बड़े उल्टे सीधे धंधा करते हैं । मैं उसके साथ काम नहीं कर सकता ।                                    कुछ दिन बाद कमाल अहमद को काम के दौरान पैर मे एक  खीला लग जाता है । और कमाल साहेब काम पर जाने के लिए  असमर्थ हो जाते हैं ।घर के हालात ख़राब हो जाते है । उनकी बेगम मुुुुहल्ले वालों से मदद लेकर जैसे तैसे घर चलाती है । अपने बीबी और बच्चों की हालत देखकर कमाल अहमद अन्दर ही अन्दर टूूूूट जातेे है । और मन ही मन सोचते हैं कि चंगा होने के बाद मैं गफ्फार साहेब के साथ काम कर लूंगा ।                                          तबियत कुछ अच्छी होने के बाद वे सुबह नमाज को जाते हैं । तो खुदा के  रहमो-करम से उन्हें यह आवाज आती है । " यै मेरे नेक वन्दे  तु ये क्या करने की सोच रहा है । तु अपनी मर्जी का मालिक है । तु चाहे तो कुछ भी कर सकता है । पर कुछ करने से पहले मेरी एक बात सुन ले ।नेक वन्दे होने के कारण जहां तेरी मौत लिखी थी वहां मैंने तुझे महज एक खीला लगा कर छोड़ दिया ।सोच आज तु नही होता तो तेरे बीबी बच्चों का क्या हश्र होता ।  और तुम उस  दुष्ट  के साथ काम करने को राजी हो गए । अब सुनोगे तुम्हारे और उसमें क्या फर्क है । जहां तुम्हारी मौत थी वहां एक खीला लगा कर छोड़ दिया । और जहां उसको खीला लगने का  लिखा होगा वहां मैं उसे मौत दे दूंगा । अब आगे क्या करना है तु सोच "                          दोस्तों कहानी कैसी लगी दो शब्द कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें धन्यवाद लेखक-भरत गोस्वामी      

Comments

Popular posts from this blog

MAA YASHODA KA VATASHALAYA PREM मां यशोदा का वात्सल्य प्रेम A RELIGIOUS STORY

JO BHI HOTA HAI AACHE KE LEA HE HOTA HAI जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है A MOTIVATIONAL STORY

PRABHU YESHU EK AADERSH प्रभु यीशु एक आदर्श एक सुविचार A GOOD THOUGHT