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Showing posts from May, 2020

VINDHAYACHAL NAGARI विंध्याचल नगरी एक सुविचार

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भारत वर्ष की पावन भूमि में ऐसे ऐसे चमत्कार हुए हैं । कि सधारण मनुष्य को विश्वास ही नहीं होता है, की ऐसा भी होता है ।पर यह अक्षरशः सत्य है ।जो धटनाए आज धटती है वो कल  कहानी हो जाती है । एक पुर्व काल की अद्भुत घटना को छूता यह सुविचार  आप लोगों को अच्छा लगेगा ।इस प्रसंग में हम मां विंध्यवासिनी के  प्रार्दुभाव की कथा सुनाएगे ।और उनके पावन धाम विंध्याचल नगरी के दर्शन कराएंगे ।                                                यह  घटना उस समय की है जब दुष्ट कंस के   अत्याचार से  मां पृथ्वी   रसातल को  प्रस्थान करने को मजबूूूर हो गई । तब पृथ्वी नाथ कमल नयन भगवान श्री हरि विष्णु ने उन्हें आश्वासन  दिया" हे देवी आप चिंता मत करो मैैं शीघ्र   पृथ्वी पर अवतार लेने वाला हूं   ।और आप के पाप भार को कम करने वाला हूं ।  जब  भगवान श्री हरि विष्णु भगवान श्रीकृष्ण के रूप में पृथ्वी पर अवतार लेने वाले थे तब  कंस के जेल में बंद महाराज बासुदेव और  देवकी  अपनी निद्रा अवस्था में सोए हुए हैं । तब महाराज बासुदेव जी को एक स्वप्न आता है ।  जैसे  उनसे कोई कह रहा है " भगवान श्री हरि आपकी पत्नी देवी देवकी

EBADAT A-- ELAHI इबादत ए--इलाही RILIGIOUS STORY

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अल्लाह ईश्वर तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान  ये पंक्तियां किसने लिखी यह तो नहीं मालूम पर इतना जरूर मालूम है कि ईश्वर एक है । हमारे मानने के पुकारने के तरीके भिन्न भिन्न हो सकते हैं । हमारे विचार भिन्न-भिन्न हो सकते हैं । हमारे बुजुर्ग हमसे ज्यादा होशियार थे । उन्होंने जो कोई भी कार्य किया  वो सोच समझ के किया । यह दांस्ता एक ऐसे शख्स का है  जो  पांच वक्त के नमाज़ी  थे ।और अपने अल्लाह से बेइंतहा प्यार करते थे ।                        कमाल अहमद नाम के एक शख्स अपने बाल बच्चों के साथ खुुशी खुशी रह रहे थे । काफी मेहनत कश इंसान थे ।उनका परिवार बहुत छोटा था उनकी बीबी और दो बच्चों के अलावा उनके परिवार मेें कोई नहीं था । उनकी बीबी सलमा  बेेेगम भी एक बहुत ही नेक और धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी ।                  कमाल अहमद भी काफी धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान थे और पांच वक्त के  नमाज़ी थे । और अल्लाह से बेइंतहा प्यार करते थे ।उनकी इबादत के लिए हमेशा तत्पर रहा करते थे ।  समाज में उनको रुतबा हासिल था । धन दौलत तो कम थी पर लोग बाग उनकी  बहुत इज्जत करते थे । शोहरत के मामले में वे किसी शख्स से कम न

EK ADBHUT VART KATHA एक अद्भुत व्रत कथा A RELIGIOUS STORY

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मातृत्व शक्ति के सामने  दुनिया में ऐसी  कोई शक्ति नहीं जो मातृत्व की बराबरी कर सके । मातृ दिवस की इस पावन त्योहार पर समर्पित यह  व्रत कथा जिसका  जन्म माता गिरजा  के कारण हुआ और विश्व में प्रसिद्ध हुआ । श्रृष्टि के बाद दो ही धर्म स्थल थे । एक शिवालय और दुसरा गिरजाघर भगवान शंकर जी ने अपनी पत्नी को बराबरी का दर्जा दिया ।और अर्धनारीश्वर कहलाएं । उन्होंने  पुरूवोत्तर दिशा मे स्वंय , पश्चिमोत्तर में मां गिरजा  को प्रधानता दी ।इस लिए पुरूवोत्तर में शिवालय और पश्चिमोत्तर में  गिरजाघर प्रसिद्ध हुए ।(जिन्हें आज चर्च के नाम से जाना जाता है )   यह व्रत सब तरह से मंगल कारी और सभी के हर तरह की समस्या को दूर करने वाला है ।                              बहुत समय पहले एक धर्मी राजा ने एक बहुत ही रमणीय  शिवालय का निर्माण करवाया ।  उस शिवालय की यह विशेषता थी कि उसके आकर्षण से प्रभावित होकर नर ,नारायण, देेव, दानव कोई भी मोहित हुए बिना नहीं रह सका । वह शिवालय इतना प्रसिद्ध हो गया  मां गिरजा ने स्वंंय भगवान शंकर से   कहा कि" मुझे उस शिवालय के दर्शन करने की हार्दिक इच्छा हो रही है ।" । भगवान शंकर