ADHAYATAM DARSHAN अध्यात्म दर्शन एक सुविचार

अध्यात्म की महिमा का बखान करना मनुष्य के वश में नही है । मनुष्य के जीवन में अध्यात्म का बहुत बड़ा योगदान है । मान लीजिए हमसे कोई पुछता है "कैसे हो भाई  "तो हम जबाब देते हैं "सबकुछ ठीक ठाक है भाई ईश्वर की कृपा है ।" ऐसा हमारे मुख से निकलना  एक साधारण बात नहीं है ।कहीं न कहीं अध्यात्म से जुड़ा व्यक्ति ही ऐसा कह सकता है । इस अध्यात्म के द्वारा ही ईश्वर मनुष्य की जिंदगी में प्रवेश करताहै ।और मनुष्य का जीवन सुन्दर और सार्थक बनाता है ।                               कोई भी फैक्ट्री में मालिक खुद कोई काम नहीं करता है। उसने काम करने के लिए मैनेजर, सुपरवाइजर  रखा है । उसी तरह यह संसार ईश्वर  लिए एक फैक्ट्री के समान है । और ईश्वर  इसका मालिक है । वह स्वयं कुछ नहीं करता ‌‌‌‌ वह हमारे बीच अपना एक प्रतिनिधि भेजता है, जो उसकेेे सामान सर्व संपन्नन रहता है ।   किसी ना किसी तरह मनुष्य को यह  लगता है कि हो ना हो यह ईश्वर ही है ।वह ईश्वर द्वारा प्राप्त शक्ति का सदुपयोग करके  मनुष्य के जीवन को सुखमय  बनाता हैं । इनके कुछ  उदाहरण हमारे समक्ष है ।                                                                           , गुरु नानक जी ,कबीरदास जी, रैदास जी,संत तुलसीदास जी, संत तुकारामजी,संत ज्ञानेश्वर जी। जिस तरह पानी मे फिटकरी डाल देने से कैसा भी पानी शुद्धध हो जाता है । मनुष्य केेे जीवन में संतों का  प्रवेश मनुष्य के जीवन को सुंदर और सार्थक बना देता है। ईश्वर के प्रतिनिधि के रूप में आए हुए  महात्माओ के कार्य इतने महान होते हैं कि लोग  ईश्वर को छोड़कर उन्हीं की पूजा करने लगते हैं। और उनके अनुयाई बन जाते हैं ।                                                              गुरू नानक जी एक महान संत थे । उन्होंने कितने सुंदर शब्दोंं में  लिखा है,जो सुख चाहो आपनो शरण राम की लेह । जग में सुंदर है दो नाम चाहेे कृष्ण कहो या राम ।, जन्म तेेेेरा बातों ही बीत गयो रे तुने कबहू ना कृष्ण कहयो। एक बार संयोग बश नानक जी मक्का गए हुए थे । वे साधारण भाव से रहने वाले एक सिद्ध पुरुष थे । सहज भाव से विश्राम के समय उन्होंने अपना पैर मक्का की तरफ कर दिया । जब  सोकर  उठे तो देखा कि यहां खचाखच भीड़-भाड़ है । नानक  जी घबरा गए और घबराकर पूछा भाई यह भीड़ क्यों है । वहां उपस्थित एक व्यक्ति ने कहा कि आप  कौन हैं आप महान हैं या ईश्वर  के भेजे हुए कोई बंदे हैं । हमारे पूरे जीवन काल में ऐसी धारणा है कि कोई भी मक्का की तरफ पैर करके नहीं सो सकता । किसी भी पुरुष को मक्का की तरफ पैर रख कर सोने की इजाजत नहीं है । ऐसा करने पर अल्लाह उसे बकसता नहीं है । आप अपना परिचय दिजीए ।  नानक जी ने लाख समझाने की कोशिश की भाई मैं साधारण आदमी हूं फिर  भी वहां कोई इस बात को मानने को तैयार नहीं। किसी तरह बड़ी मुसीबत से नानक जी वहां से प्रस्थान किए ।                                                                   संत कबीर दास जी कोई साधारण संत नहीं थे। वे निराकार ब्रह्म केेे उपासक थे । उन्होंने हिंदू मुसलमान दोनों को लताड़ा । उन्होंने हिंदू और मुसलमान दोनों को कहा । माला फेरत जुग गया गया न मन का फेर । मन का  मनका डार दे मन का मनका फेर । ।  उन्होंने दोनों को खरी खोटी सुनाई पर किसी ने भी बुरा नहीं माना । उनके महा प्रस्थान पर दोनों समुदायों में होड़ लगी थी ।एक कह रहा था कि जलाया जायेगा  तो दुसरा कह रहा था कि दफनाया जाए गा  । इसी उधेड़ बुन में संत कबीर दास जी का पार्थिव शरीर फूल में बदल गया । सबको आश्चर्य का ठिकाना न रहा । थोड़ा-थोड़ा फूल लेकर दोनों समुदाय अपने अपने घर चले गए ।                                                संत रैदास जी एक महान संत थे ।  एक बार उनके किसी प्रेमी ने उनको एक हीरे का कंगन भेंट किया । संत रैदास जी ने सोचा कि मैं ठहरा साधुुु संत आदमी इतना कीमती कंगन लेकर क्या करूं गा । उन्होंने वह कंगन किसी के हाथ से  अपने राजा के पास भिजवा दिया । राजा की पुत्री राजकुमारी को वह कंगन बहुत सुंदर लगा । राजकुमारी ने उसके दुसरे जोड़ें की मांग की ।और कहा कि जब तक इस का     जोड़ा नहीं आता तब तक मैं अन्न जल ग्रहण नहीं करूंगी । राजा, मंत्री और दरबारी सब परेशान करे तो क्या करे । बात  संत रैदास जी तक पहुंची। राजा केेे कुछ दरबारी जाकर संत रैदास जी को विनती करने लगे ।संत रैदास जी भी परेशान हो गए । उन्होंने मां गंगा  को याद किया और बाजू  रखेें कठवत में हाथ डाला ।और  उसमें से कंगन निकाल कर दरबारियों को दे दिया । उसी दिन से यह कहावत प्रचलित हो गई । मन चंगा तो कठौती में गंगा ।                                               ऐसा नहीं है कि ईश्वर यहां नहीं आते हैं । ईश्वर यहां आते हैं पर छोटे छोटे काम के लिए नहीं आते । वे बड़े बड़े काम के लिए आते हैं ।                        दोस्तों अध्यात्म दर्शन का यह सुविचार आपको कैसा लगा दो शब्द कमेंट बॉक्स मे जरूर लिखें ।ंंऔर अपने दोस्तों को शेयर जरुर करे ।धन्यवाद लेखक- --भरत गोस्वामी

Comments

  1. Beautiful bahut badhiya likha hai ....shabdo main jaan hai....artho main gyaan hai ...i feel that's good nd great .🙏🎊👍👍🎄🎄🎉🎉🎁🎁🌹🌹

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  2. बहुत-बहुत सुन्दर

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