A JOURNEY OF MAHAKALI CAVES एक यात्रा महाकाली गुफाओं की A JOURNEY GUIDE
आप लोगों ने महाभारत काल के पांडवों के अज्ञातवास की कई कथाएं सुनीं होगी ,पर हम आज आपको आंखों देखे कुछ स्थलो के बारे में बताएंगे ।जो अपने आप मे एक अजूबा से कम नहीं ।
महा भारत काल की एक घटना जो हमारे देश की एक ऐसी ऐतिहासिक घटना है जिसका जिक्र सदियों से होता चला आ रहा है । कौरवों द्वारा अनेक तरह से सताए जाने के दौरान एक अजीब तरह की सजा उन्हें दी गई थी ।और शर्त में एक शर्त यह थी कि यदि अज्ञातवास के दौरान आप लोगों की पहचान या जानकारी हो जाती है तो अज्ञातवास की अवधि दुगनी हो जायेगी । उन दिनों वो लोग जिस जिस स्थान पर रहे उनमें से एक स्थान महाराष्ट्र के मुंबई के अंधेरी पूर्व में स्थित महाकाली केव्ज के नाम से प्रसिद्ध है ।यह कुछ और नहीं पांडवों के अज्ञातवास के समय पत्थरों को तराश कर बनाया गया उनका आवास है । यह पांडव कालीन आवास अभी मुम्बई महा नगरपालिका की देख रेख में सुरक्षित है । सैंकड़ों लोग यहां दूर दूर से देखने के लिए आते हैं । यहां की प्राचीन गुफाओं को देख कर आश्चर्य करते हैं कि ऐसी जगह पर जहां दिन के उजाले में आना जाना मुश्किल है ।उस समय वे लोग यहां रात कैसे गुजारते होंगे । जंगली जानवर ,सांप बिच्छू आदि जीव जंतु के बीच अपनी रक्षा करना बहुत कठिन होता होगा । हजारों साल पहले पत्थरों को तराश कर बनाया गया यह आवास आज भी ज्यो का त्यो पड़ा है । गुफाओं का दो प्रवेशद्वार है ।एक बन्द कर दिया गया है । मात्र एक तरफ का प्रवेश द्वार पयर्टकों के लिए खुला हुआ है । प्रवेश द्वार के समीप ही भीम की गदा का एक अवशेष पड़ा हुआ है । जो मुख्य चित्र में गोल मार्क में दिखाया गया है । जो जीर्ण अवस्था में होने के बाद भी आज कल के तीस मानवों से हिलेगी नहीं ।जबकि उसका लकड़ी का भाग नहीं है । केवल पत्थर वाला हिस्सा उधर पड़ा है । जिनके बारे में लोक कथाओं में वर्णित है कि भीम के अंदर सौ हाथियों का बल था । इन आवासों को देेख कर यह प्रतीत होता है कि पांडव अकेले नहीं थे । उनके सेवक, दास दासियां भी थी ।इतने खतरनाक जगह को रहने योग्य बनना कोई आम बात नहीं है ।उस समय के निपुण कारीगरों द्वारा बनाया गया यह आवास अपने आप में अनोखा है । गुफां के अन्दर प्रवेश करने पर मनुष्य को आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता है । क्योंकि अन्दर एक अद्भुत दुनिया का दर्शन होता है ।अन्दर प्रवेश करते ही पुजा घर, रनिवास ,राज दरबार ,सभा गृह, दास दासियों के रहने का प्रबंध , कुंआ , स्नान कुंड आदि सारी व्यवस्था इतनी बेहतरीन ढंग से बनायी गई है कि देखने पर ऐसा लगता है कि मैं कोई सपना देख रहा हूं या हकीकत । मानव द्वारा इतनी मेहनत करके बनायी गयी यह कृति अपने आप मे एक अजूबा है । बाजू में मां महाकाली का मन्दिर है ,जिसके लिए लोगों कि धारणा है कि वीर भीम ने इसकी स्थापना की थी । आज भी लाखों श्रद्धालु उसके दर्शन के लिए आते हैं । भगवान श्रीकृष्ण के अति प्रिय शिष्य ये पांचों पांडव कभी इस जगह पे अपना जीवन यापन किया हुआ है यह सोच कर एक स्मृति मानस पटल पर लोट जाती है । दोस्तों यह यात्रा वृत्तान्त आपको कैसा लगा दो शब्द कमेंट बॉक्स में जरूर लिखीएगा बहुत बहुत धन्यवाद लेखक- भरत गोस्वामी ।
महा भारत काल की एक घटना जो हमारे देश की एक ऐसी ऐतिहासिक घटना है जिसका जिक्र सदियों से होता चला आ रहा है । कौरवों द्वारा अनेक तरह से सताए जाने के दौरान एक अजीब तरह की सजा उन्हें दी गई थी ।और शर्त में एक शर्त यह थी कि यदि अज्ञातवास के दौरान आप लोगों की पहचान या जानकारी हो जाती है तो अज्ञातवास की अवधि दुगनी हो जायेगी । उन दिनों वो लोग जिस जिस स्थान पर रहे उनमें से एक स्थान महाराष्ट्र के मुंबई के अंधेरी पूर्व में स्थित महाकाली केव्ज के नाम से प्रसिद्ध है ।यह कुछ और नहीं पांडवों के अज्ञातवास के समय पत्थरों को तराश कर बनाया गया उनका आवास है । यह पांडव कालीन आवास अभी मुम्बई महा नगरपालिका की देख रेख में सुरक्षित है । सैंकड़ों लोग यहां दूर दूर से देखने के लिए आते हैं । यहां की प्राचीन गुफाओं को देख कर आश्चर्य करते हैं कि ऐसी जगह पर जहां दिन के उजाले में आना जाना मुश्किल है ।उस समय वे लोग यहां रात कैसे गुजारते होंगे । जंगली जानवर ,सांप बिच्छू आदि जीव जंतु के बीच अपनी रक्षा करना बहुत कठिन होता होगा । हजारों साल पहले पत्थरों को तराश कर बनाया गया यह आवास आज भी ज्यो का त्यो पड़ा है । गुफाओं का दो प्रवेशद्वार है ।एक बन्द कर दिया गया है । मात्र एक तरफ का प्रवेश द्वार पयर्टकों के लिए खुला हुआ है । प्रवेश द्वार के समीप ही भीम की गदा का एक अवशेष पड़ा हुआ है । जो मुख्य चित्र में गोल मार्क में दिखाया गया है । जो जीर्ण अवस्था में होने के बाद भी आज कल के तीस मानवों से हिलेगी नहीं ।जबकि उसका लकड़ी का भाग नहीं है । केवल पत्थर वाला हिस्सा उधर पड़ा है । जिनके बारे में लोक कथाओं में वर्णित है कि भीम के अंदर सौ हाथियों का बल था । इन आवासों को देेख कर यह प्रतीत होता है कि पांडव अकेले नहीं थे । उनके सेवक, दास दासियां भी थी ।इतने खतरनाक जगह को रहने योग्य बनना कोई आम बात नहीं है ।उस समय के निपुण कारीगरों द्वारा बनाया गया यह आवास अपने आप में अनोखा है । गुफां के अन्दर प्रवेश करने पर मनुष्य को आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता है । क्योंकि अन्दर एक अद्भुत दुनिया का दर्शन होता है ।अन्दर प्रवेश करते ही पुजा घर, रनिवास ,राज दरबार ,सभा गृह, दास दासियों के रहने का प्रबंध , कुंआ , स्नान कुंड आदि सारी व्यवस्था इतनी बेहतरीन ढंग से बनायी गई है कि देखने पर ऐसा लगता है कि मैं कोई सपना देख रहा हूं या हकीकत । मानव द्वारा इतनी मेहनत करके बनायी गयी यह कृति अपने आप मे एक अजूबा है । बाजू में मां महाकाली का मन्दिर है ,जिसके लिए लोगों कि धारणा है कि वीर भीम ने इसकी स्थापना की थी । आज भी लाखों श्रद्धालु उसके दर्शन के लिए आते हैं । भगवान श्रीकृष्ण के अति प्रिय शिष्य ये पांचों पांडव कभी इस जगह पे अपना जीवन यापन किया हुआ है यह सोच कर एक स्मृति मानस पटल पर लोट जाती है । दोस्तों यह यात्रा वृत्तान्त आपको कैसा लगा दो शब्द कमेंट बॉक्स में जरूर लिखीएगा बहुत बहुत धन्यवाद लेखक- भरत गोस्वामी ।
बहुत-बहुत सुन्दर ।आपको बहुत-बहुत धन्यवाद
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