SYSTEM OF NATURE & HUMAN प्रकृति और मानव कृत नियम A GOOD THOUGHT

जिस तरह जीरो के जुड़ जाने से  एक का महत्व बढ़ जाता है ,यानी एक दस हो जाता है   वहीं फार्मूला मानव जीवन में और प्रकृति  पर भी लागू होता है ।मानव जीवन और प्रकृति के साथ यदि नियम  जुड़ जाता है । तो मानव जीवन और प्रकृति दोनों का महत्व बढ़ जाता है ।                    
मानव जीवन में सिस्टम यानी नियम का बहुत महत्व है । नियम है तो हम सुरक्षित है । नियम नहीं है तो हम सुरक्षित नहीं है ।यही नियम प्रकृति के पास भी है । प्रकृति यदि नियम से चलती है तो  सब कुछ ठीक है   । वायु, पानी,खनीज, और वातावरण यह  सब कुछ सही ढंग से काम कर रहा है तो मानव जीवन में सब कुछ सामान्य रहेगा यदि प्रकृति अपना नियम तोड़ दे तो  सब कुछ असामान्य  हों जायेगा  जैसे वायु अपनी अनावश्यक  शक्ति प्रदर्शन कर दे  तो तबाही मच जायेगी । सुनामी, वायु और जल का अनावश्यक प्रदर्शन ही था । यह तो ईश्वर का बनाया हुआ एक सिस्टम यानी नियम है ।                                                 कुछ सिस्टम यानी नियम मानव  द्वारा भी बनाये गये है  ।जो हमारे बुजुर्ग थे ।उन लोगों ने हमारे लिए कुछ नियम बनाए हैं ।  ।पहला उदाहरण है कर्म , कर्म के आधार पर जातियों का विभाजन किया । जिसने सोना चांदी जेवरात का काम किया उसे  सुनार, जिसने लोहा आदि का काम किया उसे लोहार ,जो बाल बनाने का काम किया उसे नाई ,जो पढने लिखने में रुचि रखता था ,उसे पंडित ,जो लडने आदि में रूचि रखता था,उसे क्षत्रिय कहकर  संबोधित किया ।इसी तरह से रूचि और कर्म के आधार पर कई और जातियों का  निर्माण किया ।                                              और उनके लिए कुछ नियम बनाए ।आप सुनार हो तो सुनार में ,लोहार हो तो लोहार में,क्षत्रिय हो तो क्षत्रिय में पंडित हो तो पंडित में व्यवहार यानी    शादी विवाह अपने ही   जाति में करने को निर्धारित किया । बुजुर्गो  के इस सिस्टम यानी नियम का जो पालन नहीं करता ।उसे बुजुर्गों के क्रोध का शिकार बनना पडता  । या जाति विरादरी से निष्कासित कर दिया जाता ।                                                                           एक और नियम उनके द्वारा ही बनाया गया  जिसे हम धर्म कहते हैं । उसकी महत्ता को समझने के लिए उन्होंने ही यह घोषित किया कि  सभी धर्म  एक समान होते हैं । इनमें कोई धर्म छोटा या बड़ा नही होता है ।सब धर्म एक समान है ।   सर्व धर्म समभाव का उदधोष  किया । और इस तथ्य को सही तरह से समझने के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया । हमारे पास पांच घर है । एक घर में दस आदमीयों के रहने खाने की व्यवस्था की गई है । यदि भूल वश एक  दिन एक घर से दुसरे घर में पांच आदमी विना किसी सूचना के आधार पर पहुच जाते हैं । तो उनको रहने खाने आदि कि व्यवस्था में गड़बड़ी हो जाती है ।एक तरह पांच  आदमी का खाना फेंका  गया  । दूसरी ओर पांच आदमी का खाना कम पड़ जाता हैं ।  ऐसा गड़बड़ी कब  हुआ ।जब हम सही तरीके से  सिस्टम को फालो नही कर पाये ।  अब तो  हमने गल्ती किया तो हमें ही भोगना पड़ेगा । चाहे कोई ऐसा अपराध हो जिसे समाज पसंद नहीं करता । उनके लिए अंतर्जातीय विवाह भी एक समाजिक अपराध ही था । जिस  कृत्य के चलते दो परिवार  आपस में लड़कर समाप्त हो जाते । और वही लोग जो परम्परा के अनुसार व्यवहार करते हैं ।वह समाज द्वारा प्रोत्साहित किये जाते हैं । यानी सब कुछ  सिस्टम के उपर ही आधारित है ।                                                         दोस्तों यह सुविचार आपको कैसा लगा दो शब्द कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें और अपने दोस्तों को शेयर जरुर करे। धन्यवाद  लेखक ---- भरत गोस्वामी । 
      

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