AARKSHAN KA JALWA आरक्षण का जलवा A SOCIAL STORY

गांव के ऐसे भोले भाले युवक की कहानी  जो पढ़ा लिखा होकर भी पूरी जिंदगी  बेरोजगारी  की मार झेलता रहा ।इसी  बेरोजगारी ने  उसकी   हरी भरी जिंदगी को नरक बना दिया । आरक्षण के चलते उसकी जिंदगी पर क्या प्रभाव पड़ा  पढ़िए एक ऐसी ही दास्तान , बेरोजगारी का मारा एक इंसान ।
                   शुभम एक होनहार विद्यार्थी  था जो गांव से शहर पढने जाता है ।एक छोटा सा कमरा किराए पर लेकर वह अपनी पढ़ाई  में जूट  जाता है ।पढ़ाई के प्रति उसकी लगन देखकर   उसके घर वाले बहुत खुश  हैं ।शुुुभम पढने लिखने में तेज होने के कारण अपने सभी अध्यापकों को प्रिय था ।पढने लिखने के अलावा  उसे खेल कुद में भी बड़ी रूचि थी ।  समय बीतते गया । क्लास दर  क्लास पढ़ते-पढते उसने अपनी पढाई पूरी कर लिया । घर में तीसरे नंबर का भाई था ।उससे बड़़े उस के दो भाई जो  किसी तरह  से अपना गुुुजर बसर कर रहे थे ।                       पिता  को शुभम से बड़़ी बड़ी आशाएं थीं  । कारण शुभम  पर और उसके  मेेेहनत पर उन्हें पूरा भरोसा था । अवकाश प्राप्त पिता के  पेंशन से ही उसने अपनी पढ़ाई पूरी की । वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से तालुकात रखता था। पढ़ाई पूरी होने के बाद उसने नौकरी के लिए भागम भाग शुरू किया ।पर कहीं काम बनते  नजर नहीं आ रहा था ।पिता की नजर भी उसी पर टिकी हुई थी । कि कब बच्चा अपने पैर पर खड़़ा हो जाय । और मेरी जिम्मेदारी थोड़ी कम हो ।  शुुुभम भी अपनी पूरी तैयारी से कहीं  भी परीक्षा देने जाता और महिनों उसकी नजरें  डाक विभाग पर टिकी  रहती ।उसे पूरा विश्वास होता कि अवश्य कुछ ना कुछ जरूर आएगा ।                                                                 कई  जगह तो परीक्षा देने के बाद  भी कोई खबर  नहीं आती ।एक जगह तो नियम की सारी हदें पार हो गई । उसनेे परीक्षा पास की लिस्ट में  उसका नाम भी आया ।   शुभम को बहुत खुशी हुई ।  चलो देेर से आए दुरुस्त आए । काम बनता देख घर वालों को भी बहुत खुशी हुई । वह खुश हो कर  इन्टरव्यू  की तैयारी करने लगा ।  दो दिन बीता  ,चार दिन बीता  जब कोई खबर नहीं आई तो उसे चिंता सताने लगी । उसने वहां जाकर पता  लगाना   उचित समझा ।जब वह वहां गया तो पता चला  कि ओ. बी  सी. और  ओपेन के चक्कर में जगह फुल  हो गई । शुभम निराश हो कर घर चला आया ।                  कुछ दिनों बाद उम्र के चलते घर वालों ने शादी करने का  विचार किया । और  एक अच्छे खासे  परिवार में उसकी शादी भी करवा दिया ‌। पत्नी  विमला उसकी जिंदगी में आई  । कुछ दिनों  तक तो सब कुछ  ठीक ठाक रहा  । पत्नी विमला एक फैशन परस्त  औरत थी ।जब तक पीहर से  मिला समान  चला तब तक तो ठीक था ।  उसके बाद उसके तेवर  बदलते नजर  नजर  आए । घुुुमना फिरना , थाटवाट से रहना उसका शौक  था ।जो उस मध्यम परिवार में पूरा नहीं  हो पा रहा था ।  घर में दर  दिन कलह  का वातावरण बनने लगा ।                                                         आधुनिक साज सज्जा का समान तो उसके पीहर से मिला था । वह उन्ही सब चीजों पर इतराती और दोनों वहुओ पर रौब जमाती ।वह कोई भी समान के लिए   शुभम को उकसाती   ।समान न मिलने पर उसे बहुत गुस्सा आता तब वह सारी भड़ास शुभम पर उतार देेती ।  हमेशा यही ताना मारते रहती कि "कौन सी पढ़ाई पढ़ लिए है ।  इनको  काम ही नहीं मिलता ।"  एक दिन तो उसने अपना रूद्र रूप  दिखला ही दिया ।वह बोल रही थी "   ये आदमी तो एक दम बेकार है । ये अपना खर्चा नहीं उठा सकता , तो मेरा  खर्च  क्या उठाएगा ।  " इतना कह कर अपने भाई को फोन करके बुलाई  ।और अपने पीहर  चली गई ।  शुभम आवाक सा उसके सभी कारनामे को देख रहा था  ।  वह मजबूर था उसे कुछ बोल भी नहीं पा रहा था ।बस मजबूर सा एक टक  अपनी पत्नी विमला  जाते देख रहा था ।जब तक उसकी पत्नी उसके आंखों से ओझल नहीं हो गई ।                               शुभम एक दम टूट सा गया था ।एक तरफ बेरोजगारी की मार दुसरी तरफ पत्नी का  व्यवहार उसके  मानस पटल को खोखला कर के रख दिया था ।उसके घर वालो ने  सम्भालने  की बहुत कोशिश की पर वह इस व्यथा से निकल नहीं पा रहा था । कुछ दिनों बाद शुभम  कि वो हालात हो गई कि, वह घर वालों से  गैर आदमी जैसे बात  करने लगता । कभी अध्यापक बन कर किसी को पढाने लगता, तो कभी नेता बन कर अनाप शनाप बकने लगता । कहीं बैठ जाता तो  लोग भिखारी समझ कर  पैसा फेंक कर चले जाते । आरक्षण एवं बेरोजगारी के इस अभिशाप ने एक होनहार और भोले भाले युवक के जीवन को नरक  बना दिया ।                                                                  दोस्तों कहानी कैसी लगी   हमें अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर लिखीए और अपने दोस्तों को शेयर जरुर करें । बहुत बहुत धन्यवाद ।                                                                                 
              

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