बीरबल का चातुर्य (motivational story)


मानव जीवन मे चातुर्य का अपना एक अलग महत्व है।  चाणक्य, नटवरलाल, तेनालीराम, शेखचिल्ली की तरह ही एक शख्स बीरबल जो चातुर्य कला में निपुण और सम्राट अकबर का प्रमुख सलाहकार था उसके चातुर्य का एक अंश,   कहानी के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं ,जो बीरबल के बुद्धिमत्ता को दर्शाती है।

               अकबर के साले साहब का नाम  मियां खुशरू था। वह बहुत ही बुद्धिमान , वफादार  दरबारी था। एक दिन उस के मन में  आया कि मैं भी तो समझदार हूं ।   फिर जीजाजी मुझे प्रमुख सलाहकार क्यों नहीं बना देते। अब इसी सोच के चलते उसने अपनी बहन से शिकायत की,जीजा जी मुझे प्रमुख सलाहकार क्यों नहीं बना सकते। मैं भी तो बहुत समझदार हूं। बहुत आग्रह करने पर उसकी बहन बोली "मैं राजा साहेब से बात करूंगी ।"

जब अकबर रानीगाह में आये तो उसकी बहन ने राजा को सारी बात बताई ।अकबर ने कहा "ठीक है मैं उसे एक  मौका जरूर दूंगा ।दुसरे दिन  दरबार में अकबर ने दोनों को बुला कर समझाया ।अकबर ने कोयले के दो टुकड़े  मंगवाये । एक एक टुकड़ा दोनों को देते हुए कहा "इस कोयले के टुकड़े को जो एक हजार मुद्रा में बेंच कर शाम होने से पहले राजकीय कोष में जमा करेगा । वही मेरा प्रमुख सलाहकार होगा ।   दुसरे दिन दोनों राजज्ञा मानकर अपने काम पर लग गये। मियां खुशरू  तो इस रोआब  मे थे कि मैं बादशाह का साला हूं ,जीत तो मेरी तय है। ये परिक्षा तो मात्र एक बहाना है । भला  कोई एक छोटे से  कोयले के टुकड़े की किमत एक हजार मुद्रा क्यों देगा,  वह इधर-उधर भटकता रहा लेकिन उसका काम नही बना । लोगो ने उसे परिहास का पात्र बना दिया ।और वह चुपचाप महल को लौट गया।                                           बीरबल  ने   कोयले को जलाकर भस्म बना दिया।और दस छोटी शीशी मे डालकर उसपर चमकदार कागज चिपका कर बाजार की तरफ चला गया। उसने अपना भेष बदल लिया था । बाजार जाकर वह जोर जोर से चिल्लाने लगा। "आओ भाईयों मैं एक ऐसा शुरमा लाया हूं जिसको आंख में लगाते ही अपने किसी भी मृत स्वजन से बिंदास  बातें  किया जा सकता है।चाहे वो मां,बाप, भाई ,बहन ,चाचा ,चाची कोई भी हो। बात बहुत मजेदार थी,इसलिए बहुत सारे लोग इकट्ठा हो गए।
बीरबल बोलते जा रहा था "इस  करामाती शुरमा की किमत मात्र एक हजार मुद्रा है जो भाई अपने स्वजन  से  बातचीत करना चाहता है वह आगे आकर इसमें से कोई एक शीशी निकाल सकता है ।" एक सेठ जिसके पिता जी हाल ही में परलोक सिधार गए थे। उन्होंने अपने पुत्र या पुत्री ,या बहु  से कुछ बता नही पाए थे, कि  मैं किसी को कुछ दिया हूं या लिया हूं। सेठ ने सोचा एक हजार मुद्रा की तो बात है। यदि पिता जी से बातचीत हो जाती हैं।तो  मैं मालामाल हो जाउंगा ।यह सोच कर सेठ ने बीरबल को एक हजार मुद्रा दे दिया।अब बीरबल एक हजार मुद्रा पाकर बहुत खुश हुआ।
बहुत सारे लोग इकट्ठा हो गए थे।सब एक टक होकर सोच रहे थे अब आगे क्या होगा।

बीरबल ने सेठ से कहा " इसमें से एक शीशी निकालिए  " सेठ ने उसमे  से एक शीशी निकाला और बीरबल के हाथ में रख दिया।बीरबल ने शीशी का  ढक्कन निकाल कर कुछ शुरमा सेठ के आंखों में लगा दिया।बीरबल ने सेठ से पूछा " आप किससे बातचीत करना चाहते है।"सेठ बोला मैं अपने पिता जी से बातचीत करना चाहता हूं।
"अवश्य किजीए ,बस कुछ समय बाद आप अपने पिता जी से बातचीत कर सकते हैं। एक पहर बीता ,दो पहर बीता पिताजी नही आए । सेठ से ज्यादा वहां जमा हुए लोगों को ज्यादा घाही थी ।सब सांस रोके उस दृश्य को देख रहे थे। बीरबल ने सेठ से धीरे से कहा मै आपके कान में कुछ कहना चाहता हूं ।और उसने सेठ के कान में कहा "मुझे कुछ शक हो रहा है,आप अपने पिता के असली औलाद नही है  । नही तो आपके पिता जी कबका आ गये होते।" इतना सुनकर सेठ के पसीना छूट गया ।वो सोचा  धन तो गया ही धर्म भी  जाने को है। अब कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा । सेठ जोर से चिल्लाया "पिताजी आपने बहुत देर कर दी ।मै कब से आपकी राह देख रहा था। बीरबल ने कहा सेठजी  मैं बोला था कि आपके पिताजी अवश्य आयेंगे ।अब आप जबतक चाहे अपने पिताजी से बात कर सकते हैं। और भीड़ की तरफ इशारा कर के कहा "  कोई और सज्जन अपने स्वजन से बातचीत करना चाहता है तो बिंदास कर  सकते है। इतना कह कर राजकीय कोष की तरफ चल दिया। (दोस्तों  कहानी अच्छी लगे तो दो शब्द जरूर लिखें और दो  स्वजन बांधवों को शेयर करें । धन्यवाद)लेखक--भरत गोस्वामी



      

Comments

Popular posts from this blog

MAA YASHODA KA VATASHALAYA PREM मां यशोदा का वात्सल्य प्रेम A RELIGIOUS STORY

JO BHI HOTA HAI AACHE KE LEA HE HOTA HAI जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है A MOTIVATIONAL STORY

PRABHU YESHU EK AADERSH प्रभु यीशु एक आदर्श एक सुविचार A GOOD THOUGHT