नारद जी का अभिमान भंग (a religious motivational story)
मनुष्य ईश्वर की सबसे सुंदर रचना है।इसने अपने कर्म से भगवान को भी कुछ सोचने को मजबूर कर दिया है।इस कहानी में एक भक्त नेअपने कृत्य के चलते भगवान को खुश कर दिया है। अभिमान मनुष्य हो ,दैैैत्य हो, दैव हो सबके लिए हानिकारक होता है। जो किसी को भी विकास की तरफ नहीं बल्कि विनाश की तरफ ले जाता है।अक्सर देखा गया है कि अभिमान औरों से पहले खुद को मिटाता है। एक बार नारदजी पृथ्वी भ्रमण के उद्देश्य से पृथ्वी पर विचरण कर रहे थे। विचरण करते करते उन्होंने विचरण का खुब आनन्द लिया।विचरण के दौरान ही उन्होंने एक किसान को देखा जो कड़ाके की ठंड मे ठिठुर ठिठुर कर खेत में हल चला रहा था।हल चलाते चलाते वह किसान बीच बीच में भगवान श्रीकृष्ण का जयकारा लगाने लगता। तो कभी ज...