करिश्मा भगवान श्रीकृष्ण का ।(a motivational story)
इस कहानी का सार यही है कि जो कुछ करता है ,वह भगवान ही करता है।मनुष्य तो केवल निमित्त मात्र है।जो व्यक्ति अपने आराध्य के शरण में विश्वास रखताहै ,उसे उसके आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त होते रहता है। एक धनाढ्य व्यापारी रहता है । अपने आचरण एवं कुशल व्यवहार से वह सभी का विश्वास जीत लेता है। उसकी कार्य कुशलता से लोग उसे पसंद करते है।वह भगवान श्रीकृष्ण का परम भक्त रहता है। उसनेे अपने आप को भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित कर दिया है।वह कोई भी काम को बहुत ही इमानदारी से करता है। इस लिए उसकी सम्पति दिन दुनी रात चौगुनी बढ़ती रहती है। ज़रूरत पड़ने पर वह दीन दुखियों की सेवा भी करता है। अनजाने में यदि कोई गलती हो भी जाए तो वह न्याय संगत करने की कोशिश करता है।और उसमे सफल भी होता है।एक दिन एक गरीब आदमी उसके दरवाजे पर आता है। और विनय के साथ हाथ जोड़कर कहता है " सेठ जी मेरी इज्जत बचा लिजीए , मैं बेटी के शादी के चलते इतना परेशान हूं । मैं अपना सब कुछ बेच कर भी उसके ससुराल वालों को खुश नही कर पाया । मैं बहुत परेशान हूं।कृपा करके मेरी मदद किजीए ।"