DARD KISHANO KA KOI SAMAJH NAHI PÀYA दर्द किसानों का कोई समझ नही पाया । (एक प्रेरणादायक कहानी)

दर्दकिसानों का कोई समझ नही पाया

-----------------राम दयाल अपनेओसारे में बैठ कर अपने बिते हुए दिनों को सोच कर दुखी हो रहा है ,और भगवान से प्रार्थना कर रहा है कि भगवान हमारे जीवन मेें भी कभी खुशियां दे दो । खेत बुआई  का आज तीसरा दिन है,घर में सब लोग खुश हैं,आज कुछ अच्छा  खाने को मिलेगा ।रामदयाल के  चेहरे पर भी खुुशी है।इस साल फसल अच्छी होंगी ,बच्चे की पढ़ाई की बकाया फीस , मां की बिमारी का इलाज और मुन्नी की शादी का कर्ज़ सब कुछ हो जायेगा ।
कुछ दिन बाद फसल चहचहाने लगी ,और हंसते खेलते समय कैसे बीत गया ,मालूम ही नही पड़ा फसल तैयार हो गई । सरकारी आदमी  आकर फसल का मुयायना करके रूआब से  फरमान सुना गया "रामदयाल तुम्हारे पास आठ बिघा खेत है,एक बिघे

का अनाज घर खर्च के लिए रख कर बाकी अनाज सरकारी क्रय केन्द्र के लिए आना चाहिए ।" कुछ दिन बाद फसल कटी , कुछ अनाज घर पर रखकर बाकी अनाज सरकारी क्रय केन्द्र को दे आया ।रामदयाल घर आ रहा था कि रास्ते में बनिया मिल गया ।कहने लगा"रामदयाल मेरा भी भला कर दो तुम्हारा  पिछले साल का ८०० रूपया बकाया है।सूद ब्याज लेकर १८००रूपया हो गया है ।कुछ दिन बाद सरकारी क्रय केन्द्र से पैसा मिला । मां की हालत दिन व दिन बिगडती चली जा रही है , पुरा परिवार परेशान हैं, कोई काम  ढंग से नहीं हो पा रहा है। असहाय सा  इधर उधर देखता रामदयाल कभी भगवान को,कभी अपने आप को कोसता । मां की बिमारी में काफी पैसा खर्च हो जाता है,पर हालत में कोई सुधार नही दिखता और एक दिन मां भगवान को प्यारी हो जाती है । रामदयाल एकदम टूट सा जाता है ।उसके घर के बाजू में एक मैदान रहता है।
वहां सरपंच जी के सभा से  लाउडस्पीकर से किसी के भाषण की आवाज़ आ रही है "घर देश का एक इकाई होता है।घर से नगर, नगर से जिला,जिला से प्रदेश , प्रदेश से देश बनता है । इसलिए उस एक इकाई का ध्यान रखना  सरकार की जिम्मेदारी है,वह एक इकाई खुश हो गया तो नगर खुश होगा, नगर खुश होगा तो जिला खुश होगा, जिला खुश होगा तो प्रदेश खुश होगा तो देश खुश होगा ।कोई भी चीज के चार आधार होते हैं , जैसे घर के चार कोने होने से घर मजबूत होता है , वैसे ही देश के विकास में चार लोगों का विशेष महत्व है। सैनिक,किसान,शिक्षक,और कामगार। सरकार सैनिक को पेंशन देती है । सरकार शिक्षक को पेंशन देती है। सरकार कामगार को पेंशन देती है पर किसान को पेंशन नही देती कियु ? देश के विकास में इनका योगदान किसी से कम नही , फिर कियु सरकार इनसे सौतेला व्यवहार करती है।देश के विकास में इनका योगदान भी महत्तव रखता है,इन्हें भी पेंशन का हक है।जब एक दियासलाई निर्माता अपने मन  का मुद्रण रख सकता है  तो किसान अपने मन का मुद्रण  क्यो नही रख सकता , 
   कयो सरकार उनके उपर अपना मुद्रण थोपता है।  "रामदयाल एकटक होकर उस आवाज को सुनता है।  कुछ दिन बाद उसके मां की तेरही आती है, उसके लिए जो अनाज खरिदता है जो सरकार के भाव से दुगना होता है। मां की बिमारी में इतना खर्च होता है , कि वह आर्थिक  तंगी से जूझ रहा है।ना वो बच्चे की फीस भर पाता है,नाही बेटी के शादी का कर्ज़ भर पाता है।और एक दिन हालात से परेशान होकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेता है। रह जाती है बेदर्द दुनिया और उसके अपने जिनका वह एकलौता  सहारा रहता है । लेखक-भरत गोस्वामी



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