VIVAH EK SAMAJIK SAMASHAYA विवाह एक सामाजिक समस्या ----AMOTIVATIONAL STORY


एकनवविवाहिता वधु रहती है, जो दहेज़ न लाने के कारण पति ,सास ,ससुर,ननद सबसे प्रताणित होती है।उससे सब नौकर की तरह बरताव करते और खाने केसमय पर उलाहना देते रहते,खाना तो दो आदमी का खाती है,पर१०मिनट काम १घंटे में करती है। उसकी सास तो एकदम जल्लाद पुरा दिन "मनहूस कहींकी, मनहूस कहीकी" रटते रहती।एक दिन तो उसने हद कर दी, वधु के लिए सबके जुठन से बचा खाना कोअच्छी तरह ढक कर रख दिया।
सब कुछ जानते हुए भी बहु चुपचाप उस खाने को रोतेरोते खा गयी।अपने भाग्य को कोसती और आंसू बहाते रहती । वाणी से,शरीर से, कर्मसे प्रताणित होकर वह घर छोड़ देती है,और एक अंजान सी जगह पर जाकर किसी के घर पर चौका वर्तन करके अपना जीवन यापन करने लगती है,पर उसके दिल में लगी आग धिरे धिरे बढ़ती रहती है।और वह समाज को सुधारने का मन ही मन संकल्प लेतीहै ।अपनी जिविका को सम्हालते हुए वह एक महिला  NGO ज्वाईन कर लेती है,वहीसमाज के  बुरे,अच्छे हर  पहलुओं काअध्ययन करती है।वह देखतीहै,कि समाज में बुराइयां बहुत ज्यादा है,और अच्छाइयां बहुत कम है। वह देखती है कि आजकल के बच्चे विजातीय  प्रेम विवाह में फंस कर अपना भविष्य खुद नष्टकर लेते हैं,लव के चक्कर में पड़ कर वे शादी तो कर लेते हैं,पर समाज से लड़ते लड़ते उनकी जिंदगी खत्म हो जाती है। उधर दोनों के परिवार वाले भी आपस में लड़कर खानदान का खानदान साफ कर बैठते हैं।ऐसी शादी में शकुन नाम की कोई चीज नहीं होती है ,और नफ़रत के सिवा कुछ हासिल नहीं होता।अधिकतर देखा गया है ऐसी शादियां सफल नहीं होती। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो आग में धी डालने का काम करते है,और अपना उल्लू सीधा करते हैं।ऐसे ही कुछ पहलुओं का अध्ययन करने के बाद वह समाज के यंग लड़के,लड़कियों को नुक्कड़ सभा लेकर समझाती है,शुरू में उसे कठिनाइयां बहुत आती है,पर वह हिम्मत नहीं हारती है।उसकी मेहनत रंग लाती है,और एक दिन  टीवी, अखवार में जहां देखो वहीं नजर आती है।लोग उसको सुनने के लिए लालाइत रहते हैं वह कहती हैं,"मैं प्रेम विवाह के खिलाफ नहीं हूं,मैं तो केवल इतना चाहती हूं कि आप लोग सजातीय  प्रेम विवाह करें , लेकिन अपने जाति विशेष का ध्यान रखें,और अपने मर्यादा में रहकर कर करें ,ताकि आपको या आपके परिवार को,आपको या   आपके समाज को कोई  ठेस ना पहुंचे। आपका जीवन सुखमय हो।आपके ऐसा करने से दोनों के परिवार वालों का  प्यार और   सम्मान बना रहेगा ।दहेज जैसा राक्षस अपने आप समाप्त हो जायेगा ।चारो तरफ खुशियां ही खुशियां होगी ।"   और फिर चारों तरफ तालियां ही तालियां  ।कुछदिन बाद उसके परिवार वाले आते हैं,उसे घर ले जाना चाहते हैं ,पर वह मना कर देती है,उसे पुरा समाज अपना घर लगता है। लेखक- भरत गोस्वामी                                                                     दोस्तों कहानी अच्छी लगी हो तो दो शब्द जरूर लिखें और अपने स्वजनो को शेयर जरुर करे ।ताकि हर हिन्दुस्तानी लड़के , लड़कियां इस कहानी से शिक्षा ले  सके । धन्यवाद 

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