EK AUR PARIKSHA एक और परीक्षा A RELIGIOUS STORY
परेशानियां चाहे जितनी भी हो पर सच्चाई को उजागर होते देर नहीं लगती ।थोडी देर सबेर ही सही जीत हमेशा सच्चाई की ही होती है ।सच्चाई पर चलने वाले लोग बिरले ही होते हैं । इतिहास के पन्नों से लिपटी यह कहानी लोक कथाओं में चर्चित है । पूर्व काल में एक बहुत ही धर्मात्मा राजा राज्य करते थे । प्रजा उनके राज्य मे बहुत ही खुशी से अपना जीवन यापन कर रही थी । परोपकार और करूणा से भरे वह राजा प्रजा को अपनी औलाद की तरह प्यार करते थे । उनकी प्रसिद्धि इतनी बढ़ गई थी कि देश देशान्तर में उनकी चर्चा होने लगी । बात फैलते फैलते देवताओं तक पहुंच गई । और देवताओं ने मिल कर उस राजा की परीक्षा लेने का उद्यम बनाने लगे ।बात भगवान विष्णु तक पहुंच गई । उन्होंने देवताओं को आश्वासन दिया कि उस राजा की परी क्षा मैं स्वयं लूंगा । एक दिन भगवान सत्यदेव स्वयं उनकी परिक्षा लेने के उद्देश्य से एक पात्र में कुछ टूटे फुटे वर्तन और कुछ बेकार की बस्तुये लेकर उनके मंडी में जा पहुंचे । राजा ने यह घोषणा कर रखा था कि यदि किसी का सामान नहीं बिका तो हमारे सिपाही उस समान