SHISKIYA ... सिसकियां .. A SOCIAL STORY
यह एक सामाजिक कहानी है आज की भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में किसी भी व्यक्ति के पास किसी भी व्यक्ति के लिए समय नही है। कुछ लोग अपने आप को सम्भाल पाते हैं कुछ लोग अपने आप को सम्भाल नही पाते। कई घर इस गल्त फहमी के शिकार हो जाते है । इस सामाजिक कहानी मे एक ऐसा शख्स है जिसके पास सब कुछ है पर सब कुछ होते हुए भी वह अपने आप को अकेला पाता है ईश्वर उसे किसी नेक राह पर चल कर किसी के लिएआश्रय तो किसी के लिए वो सब कुछ दे देता है जिसकी तलाश उसको रहती है। एक ऐसे पुरूष की कहानी है जो सब कुछ होते हुए भी हर खुशी से दूर है । कभी तो उसे लगता है कि जिन्दगी बोझ सी हो गयी है। बस ढोते जाओ, ढोते जाओ। जवानी मां, बाप , औरत, बच्चों की सेवा करते बीत गयी । सबकी जरूरत पूरा करते करते अपनी जरूरत क्या है यह भूल गया ।उनकी जरूरतो को पूरा करने के लिए कई अच्छे कर्म किए, कई बुरे कर्म किए और उनकी हर जरूरत पूरा करने मे कोई कसर नही उठा रखी उन्हे यह महसूस नही होने दिया कि उनके सर पर किसी का हाथ नही है ।अपनी खुशियो को नजर अंदाज